कैलाश पर्वत, जहाँ भगवान से लेकर देवताओं और राक्षसों ने भी किया था तप

कैलाश पर्वत को पृथ्वी का स्वर्ग कहा गया है। कैलाश पर्वतमाला कश्मीर से लेकर भूटान तक फैली हुई है और ल्हा चू और झोंग चू के बीच कैलाश पर्वत है, इसके उत्तरी शिखर का नाम कैलाश है। इस शिखर की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी के पास कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के कर-कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में भरकर निर्मल धारा के रूप में धरती पर प्रवाहित करते हैं। माना जाता है कि कैलाश पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है।

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भगवान शिव का निवास कैलाश पर्वत माना जाता है, जिस पर कैलाश मानसरोवर भी मौजूद है। शिवपुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण आदि में कैलाश खंड नाम से अलग ही अध्याय है, जहां शिवजी और कैलाश पर्वत की महिमा का गुणगान किया गया है।

वास्तव में कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित एक पर्वत माला है। यह पर्वत कई रहस्यों से भरा हुआ है। इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा रक्षातल झील हैं। इस पवित्र स्थान से ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलुज आदि कई महत्वपूर्ण नदियां निकलती हैं। भगवान शिवजी का निवास होने के कारण इस पर्वत को बहुत ही पवित्र माना गया है। इस पर्वत को गणपर्वत और रजतगिरि भी कहते हैं। पुराणों के अनुसार भगवान अनेक देवताओं, राक्षसों व ऋषियों ने इस पर्वत पर तप किया है। आदि शंकराचार्य जी ने इसी पर्वत पर अपना शरीर त्यागा था।

कैलाश पर्वत पर चढ़ना मना है, परंतु 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढ़ाई की थी। हालांकि मिलारेपा ने इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा इसलिए यह भी एक रहस्य है। यहां दो सरोवर मुख्य हैं- पहला, मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की महत्वपूर्ण झीलों में से एक है। इसका आकार सूर्य के समान है। दूसरा, राक्षस नामक झील, जो दुनिया की खारे पानी की झीलों में से एक है, इसका आकार चंद्रमा के समान है। ये दोनों झीलें सौर और चंद्र बल को दिखाती हैं, जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है।

हिमालयवासियों का कहना है कि हिमालय पर यति मानव रहता है। कोई इसे भूरा भालू कहता है, कोई जंगली मानव तो कोई हिम मानव। यदि आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के क्षेत्र में जाएंगे, तो लगातार एक आवाज सुनाई देती है, जैसे कहीं आसपास में विमान उड़ रहा हो, लेकिन ध्यान से सुनने पर यह आवाज डमरू या ॐ की ध्वनि जैसी होती है। वैज्ञानिक कहते हैं कि हो सकता है कि यह आवाज बर्फ के पिघलने की हो। यह भी हो सकता है कि प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहां से ॐ की आवाजें सुनाई देती हैं। हम अनुमान कुछ भी लगा सकते हैं लेकिन यह सच है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का घर है और वहां उनकी मौजूदगी का अहसास बादलों, सरोवरों, ध्वनियों और प्रकाश में होता है।