गिलोय एक ऐसी बेल है जो कई रोगों की एक दवा है। इसमें उपस्थित औषधीय गुण कई तरह के रोगों से छुटकारा दिलाते हैं। आयुर्वेद में भी गिलोय को अमृत तुल्य वनस्पति माना गया है। गिलोय की ख़ास बात यह है कि यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उसके गुणों को भी आत्मसात कर लेती है। इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी हुई गिलोय सबसे सर्वश्रेष्ठ होती है।
गिलोय में एंटी ऑक्सीडेंट तत्व होते हैं, जो हमारे शरीर से विषैले पदार्थ को बाहर निकालकर खून को शुद्ध कर देते हैं।
इससे हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बुखार से पीड़ित व्यक्ति अगर रोजाना गिलोय का सेवन करें तो आराम मिलता है। गिलोय में सूजन कम करने की क्षमता होती है, इसलिए गठिया का उपचार करने में भी गिलोय उपयोगी है। गिलोय के पाउडर का दूध के साथ सेवन करने से गठिया में फायदा मिलता है। साथ ही इसकी ताज़ी पत्तियों का ज्यूस पीने से भी आराम मिलता है।
गिलोय का सेवन करने से हमारे शरीर का पाचन तंत्र ठीक रहता है। गिलोय का ज्यूस छाछ के साथ पीने से अपाचन की समस्या दूर होती है। इसके चूर्ण को आंवला चूर्ण या मुरब्बे के साथ खाने से गैस की समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही गिलोय के ज्यूस का शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से मोटापा दूर होता है। गिलोय जलन, डायबिटीज कुष्ठ और पीलिया जैसे रोगों में भी काफी उपयोगी है।
दो चम्मच गिलोय का रस हर रोज सुबह लेने से सर्दी-जुकाम से राहत मिलती है। साथ ही बार-बार बुखार आने की समस्या भी दूर होती है। हमारी त्वचा और बालों के लिए भी गिलोय काफी लाभदायक है। गिलोय का सेवन करने से त्वचा पर निखार आता है और दाग-धब्बे दूर होते हैं। गिलोय के चूर्ण में नीम का तेल और दूध मिलाकर उसे गर्म करके चेहरे पर लगाने से त्वचा कोमल और साफ़ हो जाती है। साथ ही बालों पर लगाने से बाल झड़ने या सिर की त्वचा की समस्याएं दूर होती हैं। हालांकि गिलोय का सेवन करने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि गिलोय के पत्तों का नहीं बल्कि इसके डंठल करे। साथ ही अधिक मात्रा में गिलोय का सेवन करने से मुंह में छाले भी हो जाते हैं।