कौरव और पांडवों के वंश में कोई नहीं था राजकुमार नकुल जैसा सुन्दर

महाभारत से जुड़ी हर घटना, हर पात्र की कुछ न कुछ खासियत ज़रूर थी. कौरव और पांडव दोनों ही बहुत शक्तिशाली थे, लेकिन पांडवों का बल विशेष था, क्योंकि उनमें से हर एक को किसी न किसी विद्या में महारत हासिल थी. जैसे महाबली भीम गदा चलने में निपुण थे, तो वहीँ अर्जुन बहुत बड़े धनुर्धारी थे. शब्दभेद भी था उनके पास, यानी एक बार अपने बाण को आदेश दिया तो वो लक्ष्य भेदकर ही आता था. कहते हैं उनका धनुष ही इतना भारी था कि, उसपर महाबली भीम और भगवान श्रीकृष्ण के अलावा और कोई भी प्रत्यंचा नहीं चढ़ा सकता था. अपने उसी धनुष के साथ भारी भरकम तलवार उठाये वो अपने बनवास काल में इधर उधर भ्रमण करते रहे. अर्जुन के बारे में कहा जाता है कि, वो दोनों हाथों से एक साथ धनुष बाण चला सकते थे. अपने अचूक निशाने के लिए उनकी ख्याति थी, और एकाग्रता के इतने धनी कि, अँधेरे से भी जीत कर सकते थे, और निद्रा पर विजय प्राप्त करना उन्हें भली भांति आता था.

ImageSource

इसी तरह पांडवों के पिता पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के पुत्र नकुल भी एक बड़े योद्धा थे. लेकिन इसके अलावा अनाकुल की और एक खासियत थी, पूरे कुरु वंश में नकुल को सबसे सुंदर माना जाता था. नकुल अपने भाइयों की तरह एक योद्धा थे, हालाँकि उन्हें इसके लिए याद नहीं किया जाता. उन्होंने और भीम ने युद्ध के पहले दिन पांडवों का नेतृत्व किया. नकुल ने उसी दिन दुशासन को भी हराया था. इसके आलावा उन्होंने भीष्म पितामह को हराने में अर्जुन की सहायता भी की थी. नकुल सभी पांडवों की मिली जुली ताक़त थे, जहाँ भी भाइयों में कोई कमजोर पड़ता या जिसे युद्ध में उनकी ज़रुरत होती, वो बिना किसी के बुलाये वहां पहुंचकर अपना दायित्व निभाते थे. पाँचों पांडव भाइयों में एकता और समझदारी भी महाभारत में उनके युद्ध जीतने की बड़ी वजह थी.