प्रकृति स्वयं कर रही है केदारेश्वर महादेव का जलाभिषेक

मध्यप्रदेश के रतलाम जिख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर सैलाना में स्थित अति प्राचीन केदारेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग का बारिश के पानी से अभिषेक हो गया है। पिछले दिनों हुई भारी वर्षा के चलते केदारेश्वर महादेव मंदिर का प्राकृतिक झरना फूट पड़ा है। झरना पूरे वेग से बह रहा है और इसका पानी केदारेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग तक पहुँच गया है। इससे लग रहा है जैसे आसमान खुद भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहा हो।

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इससे पहले पूरे सावन महीने में अच्छी बारिश नहीं होने के कारण प्राकृतिक झरना शुरू नहीं हुआ था, लेकिन अब झरने के शुरू होने से श्रद्धालु खुश है। बारिश के बाद केदारेश्वर महादेव मंदिर के आसपास का नजारा भी हरा-भरा और खूबसूरत हो गया है। हर साल सावन के महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालु केदारेश्वर महादेव के दर्शन करने और यहां के प्राकृतिक नजारों को अपनी आंखों में कैद करने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन इस बार कोरोना संकट के कारण श्रद्धालु केदारेश्वर महादेव मंदिर नहीं पहुंच पा रहे हैं।

केदारेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। यहां स्थापित शिवलिंग प्राकृतिक है। मान्यता है कि इस स्थान पर पहले शिवलिंग हुआ करता था। साल 1736 में सैलाना के महाराज जयसिंह ने यहां एक मंदिर का निर्माण करवाया। महाराज जयसिंह ने ही मंदिर का नामकरण ‘महाकेदारेश्वर’ के रूप में किया। बाद में अन्य राजाओं ने यहां कई और निर्माण कार्य करवाए। केदारेश्वर महादेव मंदिर में साल में दो बार वैशाख और कार्तिक पूर्णिमा पर मेले का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा शिवरात्रि पर भी यहां मेले जैसा नजारा देखने को मिलता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु कावड़ लेकर शिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए केदारेश्वर महादेव मंदिर पहुंचते हैं।

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केदारेश्वर महादेव मंदिर का प्राकृतिक झरना ग्रीष्मकाल में बंद रहता हैं और बारिश होने के बाद शुरू होता है। आस-पास की चट्टानों से रिसता पानी इकट्ठा होकर झरने की शक्ल में जब ऊंचाई से भगवान भोलेनाथ के आंगन में गिरता है तो यहां का नजारा देखने लायक होता है। पानी की छोटी-छोटी सतरंगी बूंदें वातावरण को इंद्रधनुषी आभा प्रदान करती हैं।