हर आपदा से लड़ने में सक्षम है NDRF की टीम, सम्हाल लेती है टूटती हुई साँसों की डोर …

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत “एक खतरनाक आपदा स्थिति या आपदा के लिए विशेष प्रतिक्रिया के उद्देश्य से गठित एक विशेष भारतीय बल” है. धारा 44-45 से भारत में “आपदा प्रबंधन के लिए सर्वोच्च निकाय” राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) है. एनडीएमए के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.

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जब ‘गंभीर प्रकृति की आपदाएँ’ आती हैं, तो केंद्र सरकार सशस्त्र बलों, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के राज्य के अनुरोध पर, तैनाती सहित प्रभावित राज्य को सहायता और सहायता प्रदान करने के लिए ज़िम्मेदार रहती है. संचार, हवा और अन्य परिसंपत्तियां, जैसा कि उपलब्ध है और आवश्यक है.

साल 2006 में आठ बटालियनों के साथ NDRF को गठित किया गया था. आपको बता दें कि यह पैरामिलिट्री लाइंस फोर्स है, जिसमें 12 बटालियन होती है. इनमें तीन BSF, दो CRPF दो CIPF, दो ITBP और दो SSB की बटालियन होती हैं.

हमारे देश में समय समय पर कई प्राकृतिक आपदाओं के समय यही NDRF की टीम हमेशा आगे आयी है और उसने ना सिर्फ़ अपना फ़र्ज़ निभाया है, बल्कि कई जगह मानवता की मिसाल पेश की है. हमें कई बार वाइरल वीडीओज़ के माध्यम से ऐसी कई मर्मस्पर्शी घटनाएँ देखने को मिलती हैं, जिनमें NDRF के जवानों द्वारा किसी को कंधे पर लादकर घंटों पानी में चलकर या तैरकर अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जिंदगियाँ बचाई हैं.

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जब साँसों की डोर टूटने लगती है, तभी एकाएक कुछ हाथ आकर फ़रिश्तों की तरह मुसीबत में फँसे लोगों के हाथ थाम लेते हैं, ये वही NDRF के जवान होते हैं जो बाढ़, भूकंप, हिमस्खलन, तूफ़ान और सूनामी जैसी आपदाओं में सबसे आगे जाकर काम करते हैं.

हर बार हर जगह सिर्फ़ यही फ़ोर्स सबसे आगे दिखाई देती है, और हम गर्व से कह सकते हैं हमारे देश के लोगों के साथ हर मुश्किल में हमारी NDRF की टीम खड़ी होती है.