आज की भाग दौड़ भारी जीवन शैली और आधुनिक दुनिया में हर कोई इतना व्यस्त है कि उसे खुद नहीं पता कि वह किस चीज़ में इतना उलझा है. इस युग में हर इंसान एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में शामिल है. आगे निलकना अच्छी बात है पर किसी का रास्ता रोककर आगे बढ़ना सही नहीं है. ये ऐसा दौर है कि आपके पड़ोस में कौन रहता है, लोगों को ये तक पता नहीं होता. और एक जमाना ऐसा था कि जहां हर व्यक्ति पूरे मोहल्ले की ख़बर रखता था.
खैर, आज के आर्टिकल में हम यह बताना चाहते हैं कि जीवन में सब कुछ खोने के बाद फिर से उसे हासिल किया जा सकता है, लेकिन भरोसा अगर एकबार टूटा तो फिर उसे जीतना बहुत मुश्किल है. उदाहरण के तौर पर इसे आप ऐसे समझें कि अगर आपको कोई काम किसी निश्चित समय तक पूरा करने के लिए कह रहा है और आपने भी उन्हें आश्वासन दे दिया है तो यह आपका कर्तव्य है कि उस कार्य को समय सीमा में समाप्त करके उनके लिए अपने दायित्व का निर्वाह करें.. अन्यथा सामने वाले का भरोसा आप धीरे धीरे खो देंगे. शायद आपको एक और मौका मिल जाए लेकिन अगली बार विश्वास टूटते ही आप सामने वाले की नज़र में तो गिरेंगे ही उसके साथ–साथ आप खुद जी नज़र में भी गिर जाएंगे.
रामायण की एक चौपाई है “प्राण जाए पर वचन न जाए”.. ये चौपाई भगवान श्रीराम और उनके पिता दोनों के द्वारा अपने वचन की गरिमा निभाने के लिए कही गई है, वैसे ही अगर आपने किसी को भरोसा दिया है, तो उसके लिए द्रढ़ संकल्पित हो जाना आपका कर्तव्य है.
स्वामी विवेकानंद के विचारों को अपनाने से हमारी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं। जानिए उनके कुछ खास विचार…
१. कोई किसी को पढ़ा नहीं सकता है, हमें कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता. हमें सबकुछ खुद ही सीखना होता है.
२. जब तक हम खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक हम भगवान पर भी विश्वास नहीं कर सकते.
३. जैसा हम सोचते हैं वैसे हम बन जाते हैं. हम वो हैं जो हमारी सोच ने बनाया है. इसलिए सकारात्मक सोचें.
४. अगर आप चाहते हैं कि सब आप पर भरोसा करे तो जिस समय किसी काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोग आप पर भरोसा नहीं करेंगे.
५. शुद्धता, धैर्य और दृढ़ता सफलता के लिए तीनो आवश्यक हैं.