वो युद्ध सत्ता के लिए नहीं था, लेकिन फिर भी मध्य में सत्ता थी. वो युद्ध अधर्मियों से था, लेकिन फिर भी मध्य में अपने थे. वो युद्ध धर्म की स्थापना के लिए हुआ था, लेकिन फिर भी मध्य में सबसे बड़ा महाविनाश था. वो महाभारत का संग्राम था, जिसमें पूरी दुनिया शामिल हो गई थी. कहते हैं उससे बड़ा युद्ध इस धरती पर आज तक नहीं हुआ. ये युद्ध धर्म और अधर्म के बीच के था. पांडवों और कौरवों के बीच साम्राज्य और सत्ता के लिए हुए इस युद्ध में उस समय भारत के सभी जनपदों ने भाग लिया था. इस युद्ध में लाखों क्षत्रिय योद्धा मारे गए.
केवल इतना ही इस युद्ध में भारतवर्ष के राजाओं अलावा बहुत सारे अन्य देशों के क्षत्रिय राजाओं ने भाग लिया था. कहते हैं इस युद्ध के बाद दुनिया में वीर क्षत्रिय योद्धों का अभाव हो गया था. इतने बड़े पैमाने पर हुए वीरों के अंत की वजह से ये धरती कई सालों तक वीरों से खाली हो गई थी. युद्ध समाप्त होने के बाद सभी पांडव भगवान श्रीकृष्ण के साथ महाराज धृतराष्ट्र और गांधारी से मिलने आए थे. वहां बदले की आग में धृतराष्ट्र ने भीम को मारने की कोशिश की, लेकिन भगवान कृष्ण ने अपनी सूझ बूझ से उन्हें बचा लिया. और कुछ देर बाद उनका गुस्सा शांत हो गया.
लेकिन कौरवों की माता गांधारी का क्रोध शांत नहीं हुआ था, वो बदले की आग में जल रहीं थी, और उन्होंने उस युद्ध के लिए हर तरह से केवल श्रीकृष्ण को ही ज़िम्मेदार माना, जिसकी सजा भी भगवान कृष्ण को भुगतनी पड़ी, और उन्होंने अपने ही वंश की तरह भगवान कृष्ण को भी उनके वंश के विनाश का शाप दिया. और ये हुआ भी, लेकिन हर घटना और दुर्घटना के पीछे केवल महाभारत का युद्ध ही प्रमुख कारण था, जिसे मानवजाति कभी नहीं भूल पाएगी.