कोरोना संकट के कारण तीन महीने से भी अधिक समय तक देशभर के मंदिरों में श्रद्धालुओं के आने पर प्रतिबंध लगाया गया था। वहीं अब धीरे-धीरे मंदिरों को खोला जा रहा है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के कारण सीमित संख्या में ही श्रद्धालुओं को मंदिरों में प्रवेश दिया जा रहा है। ऐसे में श्रद्धालुओं के नहीं आने से मंदिरों में काम करने वाले लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। इसको देखते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को पुजारियों सहित मंदिर में काम करने वाले 6624 लोगों को समान रूप से आर्थिक सहायता देने का आदेश दिया है।
दरअसल आरआर गोपाल ने मंदिरों में काम करने वाले लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की मांग करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में आरआर गोपाल ने मांग की थी कि, ‘अदालत आदेश दे कि हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्त विभाग अपने नियंत्रण में मंदिरों में काम करने वाले सभी पुजारी और पंजीकृत व गैर पंजीकृत कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल व्यक्तियों को सहायता राशि प्रदान करें।‘
हालांकि इसके जवाब में राज्य सरकार ने कहा है कि कल्याण बोर्ड के जरिए ऐसे लोगों की पहले ही मदद की जा चुकी है। सरकार 15 मई से 30 जून तक की अवधि के लिए बंद किए मंदिरों में काम करने वाले 12041 व्यक्तियों को आर्थिक सहायता दे चुकी है। इसके अलावा जिन्हें नियमित वेतन मिल रहा है उन्हें किसी सहायता की आवश्यकता नहीं है।
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मद्रास उच्च न्यायालय की जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस आर हेमलता की बेंच ने आदेश दिया कि सरकार मंदिर में काम करने वाले 6624 लोगों को समान रूप से 1000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करे।