बहुत कम लोगों को पता होगा पता होगा भगवान श्रीराम और माता सीता की उम्र में कितना था अंतर

रामायण सनातन संस्कृति में जीवन का सार है. दुनिया की ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान रामायण में ना हो. वैसे तो रामायण एक संस्कृत महाकाव्य है, और भारतीय साहित्य के दो विशाल महाकाव्यों में से एक है. रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी. रामायण महाकाव्य में एक आदर्श राजा, आदर्श पिता, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पत्नी, आदर्श मित्र, आदर्श सेवक के कर्तव्यों को समझाया गया है. रामायण को दुनिया की कई भाषाओं में लिखा गया. लेकिन गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस आम जनमानस के के लिए बेहद सटीक मानी जाती है. क्तोंकी इसे कोई भी आसानी से समझ सकता है. लोग भगवान राम को आदर्श मानते हैं. भगवान राम और सीता माता को पति और पत्नी के श्रेष्ठ युगल के रूप में पूजते हैं. उनका वैवाहिक जीवन सबके लिए एक आदर्श मिसाल है. रामायण की ऐसी कई बातें हैं, जो शायद ही किसी को पता हों, इनमें से एक प्रमुख सवाल है, कि भगवान राम और सीता माता के बीच उम्र का कितना अंतर था?

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भगवान राम और सीता माता की उम्र का उल्लेख रामायण के एक दोहा में किया गया है. जो इस तरह है.

“वर्ष अठारह की सिया, सत्ताइस के राम।

कीन्हों मन अभिलाष तब, करनो है सुर काम॥”

इस दोहा में कहा जाता है कि भगवान राम सीता माता से 9 वर्ष बड़े थे, यह दोहा उस समय के दौरान का है जब भगवान राम और माता सीता का विवाह होता है, तब सीता माता की उम्र 18 वर्ष थी और भगवान राम की उम्र 27 वर्ष की थी. तो वहीं वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम अपनी पत्नी सीता से सात साल और एक महीने बड़े थे. प्रभु राम के जन्म के सात वर्ष तथा एक माह बाद मिथिला में सीता जी का प्राकट्य हुआ. यहाँ जन्म के स्थान पर प्राकट्य कहे जाने के पीछे भी माता सीता के जन्म से जुड़ी कहानी है. शास्त्रों के अनुसार सीता के नाम में उनकी उत्पत्ति का राज छिपा है. मिथिला के राजा महाराज जनक के संतान नहीं थी.

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एक बार वे संतान प्राप्ति की कामना के लिए यज्ञ करने के लिए यज्ञभूमि तैयार कर रहे थे. उस दौरान एक बालिका प्रकट हुई. उस बालिका का नाम सीता रखा गया. दरअसल, भूमि जोतने के लिए काम आने वाले हल को सीता भी कहा जाता है.