विशाल है सनातन धर्म, महान है इसका आधार. आस्था, परमपराएं, और ईश्वर पर परम विश्वास. यही हमारी महान जीवन शैली है. भगवान हमारे परम आराध्य हैं. हिंदू धर्म में भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है. इसका कारण यह है कि भगवान शिव का स्वभाव बहुत ही भोला है. उन्हें आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है. दुनिया भर में श्रद्धालु भगवान शिव को समर्पित धार्मिक स्थलों पर जाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. वैसे तो भगवान शिव से जुड़े कई धार्मिक स्थल हैं, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा महत्व ज्योतिर्लिंगों का है. ज्योतिर्लिंग वह स्थान हैं जहां भगवान शिव स्वयं ज्योति रूप में विराजमान हैं. ज्योतिर्लिंगों की कुल संख्या 12 हैं और यह देश में अलग-अलग हिस्सों में मौजूद हैं.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग :- सोमनाथ या सोमेश्वर को भारत ही नहीं बल्कि विश्व का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. यह धार्मिक स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में है. मान्यता है कि चंद्र देव ने इस स्थान पर तपस्या करके ही दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाई थी. सोमनाथ मंदिर को विदेशी आक्रांताओं द्वारा अब तक 17 बार तोड़ा जा चुका है। हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया है.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग :- यह पवित्र स्थल आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है. इस स्थल का महत्व कैलाश पर्वत के समान है. मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग :- मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर बाबा महाकाल का मंदिर है. यहां प्रतिदिन भस्मारती होती है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यहां दुनिया का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. बाबा महाकाल को उज्जैन का राजा भी कहा जाता है. मान्यता है कि प्राचीन समय में कोई भी राजा उज्जैन में रात नहीं गुजारता था. अगर कोई राजा ऐसा करता तो उसे सजा मिलती थी.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग :- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के समीप नर्मदा नदी के किनारे मान्धाता पर्वत पर स्थित है. ओंकारेश्वर में पहाड़ों के चारों और नदी बहाने से ॐ का आकार बनता है.
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग :- झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को श्रद्धालु बाबा बैजनाथ धाम के नाम से भी जानते हैं. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने से श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण होती है. इसलिए इस शिवलिंग को ‘कामना लिंग’ भी कहते हैं.
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग :- यह पवित्र तीर्थस्थल तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है. शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि रावण से युद्ध करने से पहले प्रभु श्रीराम ने स्वयं यहां शिवलिंग की स्थापना की थी. प्रभु श्रीराम के कारण ही इसे रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कहा जाता है.
विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग :- यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की नगरी काशी के विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित है. मान्यता है कि भगवान शिव ने हिमालय को छोड़कर इस स्थान पर निवास किया था. इसे दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी में से एक माना जाता है. मान्यता है कि जब प्रलय से पूरी दुनिया का अंत हो जाएगा तब भी काशी सुरक्षित रहेगी.
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग :- महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी कें किनारे त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है. मान्यता है कि गौतम ऋषि और गोदावरी नदी की प्रार्थना सुनकर ही भगवान शिव इस स्थान पर विराजित हुए हैं.
केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग :- उत्तराखंड में स्थित बाबा केदारनाथ का पवित्र स्थल बद्रीनाथ धाम के मार्ग में आता है. स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में केदारनाथ धाम का उल्लेख किया गया है. मान्यता है कि यह स्थान भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग :- यह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है. यहां से भीमा नदी भी निकलती है. मान्यता है कि रोजाना सुबह भीमशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग :- यह पवित्र तीर्थस्थल गुजरात के द्वारका धाम से कुछ दूरी पर स्थित है. मान्यता है कि श्रद्धाभाव से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से पापों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामना पूरी होती है.
घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग :- भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य में दौलताबाद से कुछ दूर बेरुल गांव में स्थित है. इसे घुश्मेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहा जाता है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आत्मिक शांति प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं. मंदिर के समीप ही बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं हैं.