24 दिसंबर, गुरुवार को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती यूनिवर्सिटी ने 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं. इस मौके पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह को वीडिओ कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया. आपको बताना चाहेंगे कि 1921 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती देश की सबसे पुरानी सेंट्रल यूनिवर्सिटी है. मई 1951 में इसे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूशन ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस घोषित किया गया था. 34 मिनट के इस संबोधन में उन्होंने कई बातों का जिक्र किया जैसे कि महिलाओं की साड़ी का पल्लू दाएं से बाएं क्यों हुआ, कैसे भक्ति युग में संतों ने देश में चेतना जताई, पेरिस एग्रीमेंट (Paris Climate Agreement) का भी जिक्र किया गया और गुरुदेव का विजन किस प्रकार का था. आईए, अब विस्तार से पूरी बातों को समझते हैं.
सन 1921 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती देश की सबसे पुरानी सेंट्रल यूनिवर्सिटी है. मई 1951 में इसे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूशन ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस घोषित किया गया था.
पीएम मोदी ने वर्चुअल संबोधन में कहा कि भारत विश्व का अकेला ऐसा देश है जो “पेरिस जलवायु समझौता” को पूरा कर रहा है. इस समझौते का यह मतलब है कि जलवायु में होने वाले नकारात्मक प्रभाव को रोकने के लिए आपसी बातचीत के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. जिसे भारत ने पूरा कर लिया है.
पेरिस जलवायु समझौता क्या है?
पेरिस समझौते ने ग्लोबल वार्मिंग को 2°C से नीचे और 1.5°C तक सीमित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए खतरनाक जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए एक वैश्विक रूपरेखा तैयार की है. इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और अपने प्रयासों में उनका समर्थन करने के लिए देशों की क्षमता को मजबूत करना है.
इस तरह के समझौते में विकसित देश और विकासशील देशों से वित्तीय मदद ली जाती है. इस तरह की गतिविधियों को अकेला करना मुश्किल है. इसलिए, कई देश एक साथ आते हैं और लक्ष्य को प्राप्त करते हैं.
गुरुदेव का विजन था- जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे दुनिया को फायदा पहुंचे…
गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर, स्वामी विेवेकानंद से बहुत प्रभावित थे. भारत के लिए गुरुदेव का विजन इस प्रकार का था- “जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे पूरी दुनिया को भी लाभ पहुंचे और अन्य देश भारत से सीखें”.
आत्मनिर्भर अभियान भारत और विश्व कल्याण के लिए मार्ग है…
अब गुरुदेव जी के विश्विद्दालय का नाम ही देख लीजिए, “विश्वभारती”. मां भारती और विश्व के साथ समन्वय. यह विश्वविद्दालय गुरुदेव के आत्मनिर्भर होने के विजन को दर्शाता है. पीएम मोदी द्वारा शुरु किए गया आत्मनिर्भर अभियान भी भारत को और ऊंचाई पर ले जाने के लिए है. इस तरह के अभियान से भारत विश्व का भी मागदर्शन कर पाएगा.
महिलाओं की साड़ी में पल्लू पहले दाईं दिशा में था फिर बाईं…
इस शताबदी समारोह के वर्चुअल संबोधन में पीएम मोदी ने गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर और उनकी पत्नी ज्ञानदानंदिनी के बारे में भी कुछ बातें साझा की. जैसे कि ज्ञानदानंदिनी ने देखा था कि महिलाएं साड़ी के पल्लू को दाई ओर रखती थीं तो उन्हें काम करने में परेशानियों का अनुभव होता था. तब उन्होंने सलाह दी कि पल्लू को अगर बाईं ओर रखेंगे तो काम करने में आसानी होगी. तब से इस तरह की परंपरा चली आ रही है.