आज देश भर में सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जा रही है. इस दिन को पूरे देश में राष्ट्रीय एकता दिवस (राष्ट्रीय एकता दिवस) के रूप में भी मनाया जाता है. इस अवसर पर पीएम मोदी ने ट्वीट करके श्रद्धांजलि सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के अग्रदूत लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी जन्म-जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि.
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— Narendra Modi (@narendramodi) October 31, 2020
इसके बाद स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की. और इसके बाद एकता दिवस परेड में शामिल हुए. इस दौरान पीएम मोदी ने जवानों को शपथ दिलाई.
इस दौरान पीएम मोदी ने वहां उपस्थित जवानों के साथ साथ देशवासियों को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों की चर्चा की, जिनमें से पुलवामा हमला मुख्य रूप से शामिल था. उन्होंने कहा कि देश यह कभी नहीं भूल सकता कि पुलवामा हमले के दौरान कुछ लोग सुरक्षाकर्मियों के बलिदान पर दुखी नहीं थे. उस समय, ये लोग केवल राजनीति कर रहे थे. आगे बात करते हुए करते हुए उन्होंने कहा कि, कितनी भद्दी राजनीति कर रहे थे कुछ लोग, उन्होंने कहा कि, ऐसे राजनीतिक दलों से आग्रह करूंगा कि देश की सुरक्षा के हित में, हमारे सुरक्षाबलों के मनोबल के लिए, कृपा करके ऐसी राजनीति न करें, ऐसी चीजों से बचें. अपने स्वार्थ के लिए, जाने-अनजाने आप देशविरोधी ताकतों की हाथों में खेलकर, न आप देश का हित कर पाएंगे और न ही अपने दल का.
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले दिनों पड़ोसी देश से जो खबरें आईं हैं, जिस प्रकार वहां की संसद में सत्य स्वीकारा गया है. उसने इन लोगों के असली चेहरों को देश के सामने ला दिया है. अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, ये लोग किस हद तक जा सकते हैं. पुलवामा हमले के बाद की गई राजनीति, इसका बड़ा उदाहरण है.
पीएम मोदी मोदी ने कश्मीर से धारा 370 हटाने को याद करते हुए कहा कि कश्मीर विकास की राह पर है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. मोदी ने सरदार पटेल को याद करते हुए कहा कि सरदार होते तो धारा 370 पहले ही खत्म हो गई होती.
पीएम मोदी ने कहा कि आज कश्मीर विकास की नई राह पर चल पड़ा है, इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि ये भी अद्भुत संयोग है कि आज ही वाल्मीकि जयंती भी है. आज हम भारत की जिस सांस्कृतिक एकता का दर्शन करते हैं. जिस भारत को अनुभव करते हैं. उसे और जीवंत और ऊर्जावान बनाने का काम सदियों पहले आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने ही किया था.