पद्म पुराण – सृष्टि रचना का पूरा ज्ञान

वेदव्यास जी द्वारा रचित अठारह पुराणों में पद्म पुराण आकार और श्लोकों की संख्या के आधार पर दूसरे स्थान पर आता है। पद्म का अर्थ है कमल। चूँकि सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्मा जी विष्णु भगवान के नाभि से उत्पन्न होने वाले कमल पर ही उत्पन्न हुए और वहीं से उन्होंने सृष्टि की रचना प्रारंभ की और ब्रह्म का ज्ञान भी वही प्राप्त किया, इस पुराण में वही विषय बताए गए हैं इसलिए इसका नाम पद्मपुराण है। पद्म पुराण में भगवान विष्णु की महिमा के साथ-साथ श्री राम, श्री कृष्ण, श्री शालिग्राम आदि की महिमा का वर्णन है।
इसमें कुल पचपन हजार (55000) श्लोक हैं और यह पुराण छह भागों में बँटा है-

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01 सृष्टि खण्ड
पद्म पुराण, महर्षि पुलस्त्य और भीष्म पितामह के संवाद के रूप में वर्णित है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति तथा इतिहास,
पुष्कर तीर्थ का वर्णन और महात्मा,
ब्रम्ह यज्ञ की विधि और महात्म्य,
मनुष्यों के व्यक्तिगत और सार्वजनिक कल्याण के लिए निर्धारित अनेकानेक प्रकार के दान, व्रत और धार्मिक कर्तव्यों का निरूपण और विधान,
शिव पार्वती विवाह, तारकासुर की कथा, गौ माता की उत्पत्ति और महिमा, कालकेय दैत्य की उत्पत्ति और संहार,
ग्रहों के पूजन और उनके निमित्त दान आदि की विधियों का वर्णन है।

02 भूमि खण्ड
शिवशर्मा की कथा, सुव्रत की कथा, वृत्रासुर के संहार की कथा, राजा पृथु जिनके नाम पर धरती का नाम पृथ्वी पड़ा है उनकी कथा, वेन और सुनीता की कथा, नहुष की कथा, राजा ययाति की कथा, जैमिनि संवाद, हुण्ड बिहुण्ड दैत्य का वध, अशोक सुंदरी की कथा, महर्षि च्यवन और कुंजल का पद्मपुराण के भूमि खंड में वर्णित है।

03 स्वर्ग खण्ड
मृत्युलोक (पृथ्वीलोक), स्वर्ग लोक सहित ब्रह्मांड के अन्य लोकों की उत्पत्ति स्थिति आदि का वर्णन, पृथ्वी के सभी तीर्थों का वर्णन, नर्मदा जी की उत्पत्ति और उनके तीर्थों का वर्णन, यमुना जी की उत्पत्ति तथा महिमा, काशी (वाराणसी) की कथा, गया तीर्थ की कथा, प्रयागराज की कथा और महिमा।
मानव जीवन में वर्ण आश्रमों के लिए निर्धारित कर्मों का वर्णन, समुद्र मंथन की कथा, व्यास जैमिनि संवाद, भीष्म पंचक और उसकी महिमा का वर्णन।

04 पाताल खण्ड
इस के अंतर्गत पुलस्त्य वंश का वर्णन, लंका विजय के पश्चात श्री राम के राज्याभिषेक का वर्णन, भगवान जगन्नाथ की कथा और महिमा, अश्वमेध यज्ञ का स्वरूप और उसकी महिमा, वृंदावन की कथा और महिमा, श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन, वैशाख महीने में स्नान की महिमा, भूमि – वाराह संवाद, महर्षि दधीच की कथा जिनकी हड्डियों से इंद्र का वज्र बना है, गौतम ऋषि की कथा जिनकी पत्नी अहिल्या का उद्धार राम जी ने त्रेता में किया था, शिवजी की महिमा का वर्णन सम्मिलित है।

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05 ब्रह्म खण्ड
पद्म पुराण के इस खंड में मानव कल्याण के लिए सहज धार्मिक उपाय तथा क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इन कर्मों का विस्तृत वर्णन है।

06 उत्तर खण्ड
पार्वती माता के प्रति शिव जी द्वारा कहा गया पर्वतोपाख्यान ( पर्वतों की कथा), जालंधर की कथा, राजा सगर की कथा जिनके नाम पर समुद्र का नाम सागर पड़ा, अन्न दान की महिमा, वर्ष की चौबीसों एकादशियों की कथा और उनकी महिमा का वर्णन।
विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र, कार्तिक व्रत की महिमा, प्रहलाद के प्रसंग में भगवान के नरसिंह अवतार की कथा, श्रीमद भगवत गीता की कथा और महत्व, श्रीमद् भागवत की कथा और महात्म्य, मत्स्य – वराह आदि अवतारों की कल्याणकारी कथाएं।
इंद्रप्रस्थ की स्थापना और महिमा, महर्षि भृगु द्वारा भगवान श्री विष्णु की परीक्षा आदि प्रसंगों का वर्णन है।