पंपा सरोवर:यहां बैठकर माता शबरी ने किया प्रभु श्रीराम का इंतजार

सनातन धर्म में पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों के साथ-साथ जल स्रोतों का भी विशेष महत्व है। सनातन धर्म में नदियों को पवित्र और मां के समान माना गया है। वहीं अगर सरोवरों की बात करें तो सनातन धर्म में पांच सरोवरों को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इन सरोवरों का संबंध पौराणिक काल से रहा है। यह सरोवर कभी ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहे हैं। मान्यता है कि इन सरोवरों में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और हमें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इन्हीं पांच पवित्र सरोवरों में से एक पंपा सरोवर कर्नाटक राज्य के कोपल जिले में स्थित है। यह हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में शामिल है। यह पवित्र झील तुंगभद्रा नदी के अंतर्गत आती है। इसमें स्नान करने से पुण्य मिलता है और आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है। हर साल बड़ी संख्या में हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले श्रद्धालु पंपा सरोवर में डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। यहां सीता कुंड व एक अन्य सरोवर मानसरोवर है।

पंपा सरोवर का संबंध रामायण काल से रहा है। मान्यता है कि यह पवित्र सरोवर रामायण काल में वर्णित किष्किंधा क्षेत्र में आता है। पंपा सरोवर से कुछ दूरी पर स्थित ग्राम अनेगुंदी को रामायण काल की किष्किंधा माना जाता है। मान्यता है कि पंपा सरोवर वही स्थान है जहां पर माता शबरी ने प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा की थी। पंपा सरोवर के नजदीक ही माता शबरी की गुफा भी है। इस स्थान पर ही माता शबरी ने प्रभु श्रीराम को बेर खिलाए थे। इसी के निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध ‘मतंगवन’ था। पंपा सरोवर के पास पश्चिम में पर्वत के ऊपर कई जीर्ण-शीर्ण मंदिर भी हैं।

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पंपा सरोवर का जिक्र श्रीमद्भागवत में भी मिलता है। साथ ही हिन्दू महाकाव्य में भी पंपा सरोवर का वर्णन किया गया है। हिन्दू महाकाव्य के अनुसार भगवान शिव ने इस स्थान पर तपस्या की थी। इसलिए हिंदू धर्म में पंपा सरोवर को कैलाश मानसरोवर के समान ही विशेष महत्व दिया गया है। पंपा सरोवर पर भगवान शिव की भक्ति करने का विशेष महत्व है।