धरती के अनेक रहस्य अपने अस्तित्व में समेटे हुए हैं पर्वतराज हिमालय

दुनिया जितनी खूबसूरत है, इसमें जितने भी रंग हैं, ये परमात्मा की कृपा है, प्रकृति की इनायत है, जिसने हमें इतना कुछ दिया है जिसे देखकर यही लगता है कि कण कण में ईश्वर बसते हैं।

हमारी भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में प्रकृति को ईश्वर का रूप माना गया है। पूरी दुनिया इस बात पर चकित है कि इस देश में पेड़-पौधों, नदियों, हवा, आग, धरती के साथ ही पर्वतों को भी पूजा जाता है। वास्तव में ये सभी जीवन में बहुत महत्व रखते हैं। इनके बिना जीवन और जीवनयापन दोनों ही मुश्किल है। शायद इसीलिए प्रकृति का आभार मानते हुए उसके विभिन्न रूपों का पूजन किया जाता है।

जिस तरह सात नदियों को पवित्र माना जाता है, उसी तरह सात पर्वतों को भी पूजन के योग्य माना गया है। इन्हीं पर्वतों में सबसे बड़ा और सबसे प्रमुख पर्वत है हिमालय। यह वही पर्वत है जिसके बारे में पुराने से पुराने धर्म- शास्त्रों में भी जिक्र मिलता है। इसकी ऊंचाई और विशालता को देखते हुए इसे पर्वतों का राजा कहा जाता है। शास्त्रों में भी इसे पर्वतों का राजा मानते हुए मनुष्य रूप में दर्शाया गया है। हिमालय, माता पार्वती के पिता हैं और इस तरह वे विधाता शिव के ससुर हुए। धार्मिक पुस्तकों में माता पार्वती के साथ ही उनके पिता हिमालय को लेकर बहुत-सी कहानियां मिलती हैं।

हिमालय इसलिए भी पवित्र है क्योंकि उस पर देवताओं का वास है। इस पहाड़ की गुफाओं में हजारों- सैकड़ों सालों से कई ऋषि- मुनि तपस्या कर रहे हैं। पुराने समय में तपस्या के लिए हिमालय पर्वत पर जाना सबसे उचित माना जाता था, क्योंकि यह इतना बड़ा है कि यहां तपस्या में कोई रुकावट नहीं आती है। यहां शांति का माहौल मिलता है। इसकी कई ऊंची-ऊंची चोटियां और अनेक गुफाएं हैं, जो तपस्या-साधना के लिए अनुकूल होती हैं।

हिमालय की चोटियों और उससे जुड़े हुए अनेक धार्मिक स्थान और तीर्थ हैं। इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गोमुख, देव प्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश मानसरोवर तथा अमरनाथ काफी प्रसिद्ध हैं। श्रीमद्भगवद गीता में भी इस विशाल पहाड़ का उल्लेख मिलता है। इसमें कहा गया है कि पांडव इसी पर्वत की चढ़ाई करके स्वर्ग गए थे। यदि पुराणों में देखें तो पार्वती के साथ ही गंगा भी इनकी बेटी है और मैनाक, सप्तश्रृंग आदि सौ पुत्र हैं।

आज के युग में हिमालय कई देशों की सीमा तय करता है। यही पहाड़ भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत की सीमाएं बताता है। हिमालय पांच देशों भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और चीन की सीमाओं में फैला हुआ है। यह तीन समानांतर पहाड़ों के रूप में है, जिन्हें महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक कहा जाता है, जो कि पश्चिम से पूर्व की ओर एक धनुष की तरह लगभग 2500 किलोमीटर की लंबाई लिए हुए है। हिमालय की एक चोटी का नाम बंदरपूंछ है। यह चोटी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में है, जिसकी ऊंचाई 20731 फीट है। इसे सुमेरु भी कहते हैं। शास्त्रों में सुमेरु पर्वत का भी कई जगह उल्लेख मिलता है। आज के दौर में हिमालय की चोटी एवरेस्ट का नाम काफी चर्चा में है। यह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है, जिस पर चढ़ाई करना काफी गौरव की बात मानी जाती है और कुछ हो लोग इसकी चोटी तक पहुंच सके हैं, क्योंकि इसकी ऊंचाई 8848 मीटर है।

हिमालय को मां भारती का मुकुट भी कहा जाता है। यह वह पहाड़ है, जो धरती के अनेक राज और अनेक औषधियां अपने आप में समेटे हुए है और इसकी महिमा युगों-युगों से बनी हुई है। कुल मिलाकर देखा जाए तो हिमालय हमारे देश का गौरव है।