राम की नगरी सजने लगी है..राजा विराजेंगे अपने दरबार में

पलकें बिछाए जाने कबसे आस लगी है, देख रहे हैं पूरी दुनियां के राम भक्त, अपने राजा की तरफ कि, कब वो विराजेंगे अपने दरबार में, और अपने दर्शन से करेंगे धन्य, साक्षात् नारायण जिन्होंने जन्म लिया महापुरुष के रूप में, मर्यादा पुरुषोत्तम, धरती पर सबसे बड़े अवतारी पुरुष, जिन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया संघर्ष में, धरती से पापियों का विनाश किया, और अयोध्या के राजा बने श्रीराम.

उतना ही संघर्ष किया श्रीराम के भक्तों ने, अपने राजा को अयोध्या के राममंदिर रुपी दरबार में पुनः विराजमान करने के लिए, श्रीराम को भी कोई व्यवधान पसंद नहीं है, वो तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, न्यायप्रिय हैं, और न्याय पूर्वक ही आना चाहते थे, तो वही हुआ, और अब राजा राम मान गए हैं, वो तैयार हैं, अपने दरबार में आने के लिए, भक्तों की प्रतीक्षा समाप्त होने वाली है, लोग तैयारियां कर रहे हैं, नगर को सजा रहे हैं, ठीक वैसे ही, जब श्रीराम वनवास से लौटकर वापस आये थे, तब भी अयोध्या को सजाया गया था, अपने राजा को रथ पे बिठाकर लाया गया था, और वो दरबार में विराजे थे.
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और अब फिर अयोध्या को सजाया जा रहा है, भक्त कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते, सब अपने राजा की आँखों में अपने लिए प्यार देखना चाहते हैं, वो दुलार देखना चाहते हैं, जो राजा राम ने उन्हें दिया था. अब बिलकुल देर नहीं होगी, बहुत हो गया, अब नहीं होती और ज्यादा प्रतीक्षा, श्रीराम भी समझ गए हैं, अपने भक्तों की व्याकुलता, आखिर उन्हें भी तो अपने भक्त प्यारे हैं, तो बना लिया है उन्होंने मन, इसी 5 अगस्त की तारीख तय हुई है, और भक्तों ने भी पूरी तैयारी कर ली है.

शिलान्यास होगा, रामलला भी देखेंगे, और अपनी आँखों के सामने बनवायेंगे अपना वो घर, जो उनके भक्तों के लिए होगा, दुनियां में भव्य श्रीराम मंदिर. पर 5 तारीख तो अभी दूर है, तब तक क्या करें, अब तो एक एक क्षण भारी लग रहा है, मन अधीर है, नैना व्याकुल हैं, तो तब तक श्रीराम के आगमन की तैयारी करते हैं, नगर को सजाते हैं, अयोध्या को ऐसा बनाते हैं, जैसे आज ही बना हो ये शहर, बिलकुल नया, अद्भुत, आखिर राजा के आने की तैयारी है, दुनियां देखेगी, और दंग रह जायेगी. ऐसे मेरे श्रीराम की सवारी आएगी.