हम इस महान देश के वासी हैं. जहाँ सनातन धर्म और संस्कृति का बोलबाला है. वो मिट्टी जिसकी खुशबू में विरासत घुली हुई है हमारे पूर्वजों के संस्कारों की. इस देश की धरती पर स्वयं नारायण ने भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया. इस देश की मिट्टी के कण कण में भगवान बसते हैं. कहते हैं 33 कोटि देवी देवता हमेशा हमारे आस पास रहते हैं. और इनमें से कुछ शहर तो ऐसे हैं जो इतने पावन हैं कि, उन स्थानों पर कदम रखते ही इंसान का उद्धार हो जाता है.
काशी, मथुरा, अयोध्या, उज्जैन, रामेश्वरम जैसे कई स्थान तो ऐसे हैं जहाँ स्वयं भगवान ने या तो मनुष्य के रूप में जन्म लिया, या जन्म लेने के बाद किसी न किसी तरह मानवजाति के कल्याण हेतु वहां पहुँच गए. धर्म, संस्कृति, सभ्यता, संस्कार ये सब इस धरती पर जन्म लेने वाले सौभाग्यशाली लोगों को विरासत में मिल जाते हैं. ये रीति रिवाजो का देश है. त्योहारों का देश है. छोटी छोटी खुशियों के मौके पर जीवन को पूरे उत्साह से जीने का देश है. ईश्वर के प्रति गहन आस्था, ही इस देश की संस्कृति है. जितने मौके उतने त्यौहार, हर साल में बार बार, कई बार, मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी, एक ही त्यौहार के अलग अलग स्थान पर कितने नाम, लेकिन मनाने का एक ही तरीका, पूरी ख़ुशी के साथ, आस्था के साथ, हर्षोल्लास के साथ और जीवन के रंगों के साथ. होली, नवरात्रि, रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, गणेशोत्सव, दीवाली, दशहरा ऐसे कई त्यौहार हर बार न केवल ईश्वर के साथ रहकर भक्ति में डूबने का मौका देते हैं. बल्कि उत्सव के साथ जीवन को भरपूर तरीके से जीने की वजह भी हैं.
पूरी दुनियां में इतनी धूमधाम से कहीं भी इस तरह त्यौहार नहीं मनाये जाते, जैसे हमारे इस देश में मनाये जाते हैं. क्योंकि ये केवल त्यौहार नहीं बल्कि हम सबकी जीवन शैली हैं.