मनुष्य अपने कर्म से बनाता है अपना भाग्य

मनुष्य अपने कर्म से ही अपना भाग्य बनाता है. विपरीत परिस्थितियों में भी रास्ते ढूंढ लेता है. इसलिए इतना निश्चित है. जो अच्छे कर्म करते हैं. और सदैव मेहनत और ईमानदारी के रास्ते पर चलते हैं. उन्हें समाज में यश ही मिलता है. भले ही देर हो जाये. इसलिए कभी जीवन में समस्याओं से नहीं घबराना चाहिए. क्योंकि हर समस्या समाधान के लिए ही होती है. और अगर समाधान नहीं होता, तो हम समस्या की पहचान ही कैसे कर पाते. लेकिन जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करना श्रीराम के आदर्श हैं. सहजता, सरलता, सामर्थ्य, धैर्य, क्षमाशील, कुशल नेतृत्व, वीर योद्धा, अनुशासन और मर्यादा ऐसे अनगिनत गुणों का प्रतिरूप हैं श्रीराम. उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलकर मनुष्य बहुत आसानी से अपने जीवन की चुनौतियों से पार जा सकता है. और अपने जीवन में निर्धारित लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है. रामायण में एक चौपाई है-:

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हानि लाभ जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ

ये बिलकुल सत्य और सटीक. मनुष्य का जन्म कब होना है, और कब उसकी मृत्यु होगी. उसे अपने जीवन में कितनी सफलता मिलेगी या नहीं, या फिर वो जो सोच रहा है उससे अलग किसी और क्षेत्र में उसे सफलता मिलेगी. उसे व्यापार में हानि होगी या लाभ. उसे अपने जीवन में सामाजिक यश मिलेगा, या अपयश ये छ: बातें विधि यानि विधाता के हाथ में हैं. भगवान श्रीराम मानवजाति का कल्याण करने के लिए धरती पर मानव रूप में आये थे. पर उन्हें भी अपने भाग्य में लिखी हुई निर्धारित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. ईश्वर होकर भी सामान्य मनुष्य से ज्यादा कष्ट उन्होंने उठाये. लेकिन फिर भी अपने आदर्शों पर कायम रहे. उन्हें भी यश और अपयश दोनों का स्वरूप देखने को मिला. पर मर्यादा की राह पर फिर भी सदैव चलते रहे. और उनके द्वारा स्थापित किये गए आदर्शों पर ही आज पूरी सभ्यता की आधारशिला है.