कहा जाता है कि राम राज्य में सुख- शांति के साथ जितनी सादगी थी उतना ही वैभव भी था। इसी तरह भगवान राम की गरिमा के अनुकूल अयोध्या में उनके भव्य मंदिर का शिलान्यास भी अत्यंत वैभवशाली तरीके से होगा।
यह भव्य मंदिर अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र जी का बन रहा है, इसलिए उसके शिलान्यास में 5 अगस्त को अभिजीत मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 लाख रुपए से ज्यादा मूल्य की 22.663 किलो चांदी की ईंट स्थापित करेंगे। भगवान श्री राम के प्रति जन-जन में आस्था है, उसी के अनुरूप मंदिर निर्माण में लोग पूरे उत्साह और क्षमता के साथ सहयोग करने के लिए आगे आ रहे हैं। श्री मोदी द्वारा शिलान्यास में रखी जाने वाली यह चांदी की ईंट भी दान में आई हुई है। यह ईंट विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के सराफा व्यापारियों द्वारा बनाकर दी गई है। वैसे तो कोई भी दान अमूल्य होता है लेकिन चांदी के हिसाब से आकलन किया जाए तो इसका मूल्य 14 लाख रुपए से ज्यादा का है।
बुलंदशहर सराफा एसोसिएशन के साथ ही उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों के सराफा कारोबारियों ने भी चांदी की ईंटें दान की हैं।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि मंदिर निर्माण के लिए दान में आई चांदी की यह अकेली ईंट नहीं है, बल्कि ऐसी बहुमूल्य धातु की कई ईंटें राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को प्राप्त हुई हैं। स्थिति यह है कि ट्रस्ट के महासचिव श्री चंपत राय को यह आह्वान करना पड़ रहा है कि अब बहुमूल्य धातु की ईटें दान में न दें, उसकी जगह रुपये ट्रस्ट के खाते में जमा करा दिए जाएं। श्री राय ने बताया कि बैंक के लॉकर चांदी व अन्य धातुओं की ईटों से भर गए हैं और अब उसमें ईंटें रखने की जगह नहीं बची है। कई दानदाताओं ने तो अपनी बैंकों में भगवान श्री राम के नाम से लॉकर ले लिया है और दान की गई चांदी की ईंटों को उसी में सुरक्षित रख दिया है।
बहुमूल्य धातु की ईंटें दान करने में ट्रस्ट के सदस्य भी पीछे नहीं हैं, स्वयं महंत नृत्य गोपाल दास जी महाराज ने भी 40 किलो चांदी की ईंट का दान किया है।
जैसा कि हनुमानजी जब माता सीता की खोज में लंका के लिए रवाना हुए थे तो उन्होंने कहा था- राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम। उसी तरह पूरा भारत वर्ष जैसे कह रहा हो कि भगवान राम का भव्य मंदिर निर्माण किए बिना हम कैसे आराम से बैठ सकते हैं