जब बेटी ने रोती हुई माँ से कहा, तू चिंता मत कर, यमराज से छीनकर के आऊँगी अपने पिता को

कोरोना काल को भारत में 1 साल हो चुका है. इस महामारी में लोगों के जीवन में उथल पुथल मचा दी है. लाख परेशानी के बाद भी आप हमारी इस बात को शायद मानेंगे कि कोरोना ने हर किसी को जिंदगी का महत्व समझा दिया है. जहां पहले लोग बड़े-छोटे का भेद करते थे, तो वहीं अब एक दूसरे का ख्याल रख रहे हैं. इस आधुनिक दुनिया में जहां नई नई तकनीक का अविष्कार हो रहा है वहां लोगों को यह भी समझ आ रहा है कि नए अविष्कार के साथ साथ हमें पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए. इसका ताजा उदहारण अभी कुछ दिन पहले ही देखने को मिला था, जहां 40 वैश्विक नेताओं की यूएस-होस्टेड वर्चुअल समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी जी ने कहा था, कि देश COVID 19 से जूझ रहा है महामारी के इस दौर में हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि क्लाइमेट चेंज का मुद्दा खत्म हो गया है, बल्कि इससे हमें यह संदेश मिलता है कि वक्त रहते हमें संभल जाना चाहिए. विकास की चुनौती के बीच भी हमें इसका ध्यान रखना चाहिए.

आज के इस आर्टिकल में हम बात कर रहे हैं रेलवे से रिटायर्ड 84 साल के विनय कुमार भारद्वाज की.

भारद्वाज का HRTC 17 और ऑक्सीजन लेवल 85 हो गया था. इसके चलते उन्हें अस्पताल ले जाया गया.एंबुलेंस उन्हें जब लेने आई तब उनकी पत्नी की आखों से आंसू बहने लगे और वह अपनी बेटी गुंजन से पूछने लगीं कि क्या तेरे पिता घर वापस तो आएंगे?

बेटी का जवाब जानकर आप के अंदर हिम्मत बढ़ जाएगी. बेटी ने कहा मां तू चिंता मत कर मैं यमराज से पिता को छीन कर ले आऊंगी. और फिर उन्हें 25 दिन का संघर्ष करना पड़ा. भारद्वाज जी को पहले रेलवे के अस्पताल में रखा गया था वहा उनका HRTC स्कोर 17 आया और ऑक्सीजन लेवल 85 था और RT-PCR में corona positive आने के बाद उन्हें तुरंत जयपुर के निजी अस्पताल में ले जाया गया. यहां उनका करीब 9 दिनों तक इलाज चला. यहां भी जांच के बाद रिपोर्ट positive आई. लेकिन, ऑक्सीजन लेवल में सुधार होने लगा. उसके बाद उनकी बेटी और दामाद उन्हें घर लेकर आए और अगले 16 दिन तक दिनरात उनकी हर चीज़ का ख्याल रखा गया जिसमें भोजन, एक्सरसाइज, Morning and Evening Walk आदि जैसी गतिविधि पर जोर दिया गया. और तो और घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई. गुंजन की यह मेहनत रंग लाई और सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे.

इस विषय पर गुंजन ने एक अखबार से बात करते हुए कहा कि उन्होंने वह हर कोशिश की जिनसे उनके पिता का ध्यान इस बीमारी से हट जाए और फिर घर में बनाए गए सकारात्मक माहौल से उनके पिता की सेहत में सुधार होता चला गया.