आदिम जाति के लोगों ने दिया राममंदिर के लिए दान, इनके पूर्वज रहे थे प्रभु श्रीराम के साथ

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्भूमि पर राम मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा है. पूरी दुनिया के राम भक्त बेसब्री से अपने आराध्य के मंदिर की प्रतीक्षा कर रहे हैं, कि कब जल्द से जल्द निर्माण कार्य ख़तम हो और भक्त अपने भगवान के दर्शन उनके ही घर में कर सकें. बहुत लम्बी प्रतीक्षा के बाद ये घड़ी आई है. सरकार से लेकर प्रशासन तक सबकी निगाह मंदिर निर्माण की तैयारियों पर लगी हुई है. इसी बीच श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भी मंदिर को दुनिया में सबसे भव्य राम मंदिर बनाये जाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. और इसके लिए पैसे की कमी बिलकुल नहीं पड़े इसके लिए भी तैयारियां की जा रहीं हैं. विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इस समय पूरे देश में निधि संग्रह अभियान चला रहे हैं.15 जनवरी से शुरू हुआ ये कार्यक्रम आगामी 27 फरवरी तक चलेगा.

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प्रभु श्रीराम के इस काम में देश और दुनिया के कोने कोने से लोग भाग ले रहे हैं. और अपना योगदान दे रहे हैं. जिस तरह भगवान श्रीराम जब समुद्र पर सेतु निर्माण के लिए आगे बढ़ रहे थे तो उनके साथ छोटे बड़े हर जीव ने अपना योगदान देकर रामकाज को सफल किया था. इसी तरह मंदिर निर्माण के इस महाभियान में भी लोग बढ़ चढ़कर शामिल हो रहे हैं.

अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के निर्माण में सहयोग कर राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रहा निधि समर्पण अभियान उन्हें रोमांचित करता है।

इसी के चलते झारखंड के जंगलों व पहाड़ों के बीच में रहने वाले जनजातीय परिवारों के द्वारा भी अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए बढ़ चढ़कर दान देने की खबर सामने आई है. जानकारी के अनुसार निधि समर्पण अभियान में लगी टीम जब जंगलों के बीच रहने वाली इस आदिम जाति के परिवारों के बीच पहुंची तो सबने पलकें बिछाकर स्वयंसेवकों का स्वागत किया. श्रद्धा और आस्था की भी बातें हुईं. कई लोगों की आंखें नम हो गई. आदिम जनजाति परिवार के लोग इस काम के लिए अपना योगदान देकर खुद को सौभाग्यशाली मान रहे हैं. इन लोगों के अनुसार भगवान राम से इनका पुराना नाता है.

वनवास की अवधि के दौरान राम जनजातीय समाज के साथ जंगलों में रहे थे. उनका कहना है, कि जिन प्रभु श्री रामजी के साथ 14 वर्षों तक हमारे पूर्वज रहे उनके मंदिर निर्माण में सहयोग करने का आपने हम लोगों को मौका दिया, इसके लिए ये लोग जीवन भर आभारी रहेंगे. वनवासी भी यही चाहते हैं, कि उनके भगवान राम का धाम सबसे सुंदर बने. लातेहार के आदिम जनजाति परहिया, खेरवार, बिरहोर और गुमला के बिरिजिया जनजाति समाज के लोगों ने कहा – इस जंगल में आता कौन है? अहो भाग्य हमारा कि मेरे गांव में प्रभु राम के लिए आप लोग आये हैं, देने की इच्छा तो बहुत है, लेकिन घर में कुछ है नहीं, हमलोगों से जो बन रहा, रामकाज के लिए समर्पण कर रहे हैं. हमें ये सुखद पल देखने को मिले इससे हमारे पूर्वज भी धन्य हो गए.