राजस्थान के अजमेर जिले में हिंदुओं के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक पुष्कर है। पुष्कर में एक पवित्र सरोवर है, जिसे पुष्कर सरोवर के नाम से जाना जाता है। इस सरोवर का संबंध भगवान ब्रह्माजी से है। पुष्कर सरोवर के पास ही भगवान ब्रह्माजी को समर्पित एक मंदिर भी बना हुआ है। यह मंदिर दुनिया में भगवान ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर है। यहीं कारण है कि इस स्थान को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। पुष्कर को तीर्थों का गुरु और पुष्करराज के नाम से भी जाना जाता है।
पुष्कर सरोवर को लेकर मान्यता है कि इसका निर्माण स्वयं भगवान ब्रह्माजी ने किया था। इस सरोवर के किनारे हर साल कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक मेला लगाया जाता है। मेले में देश-दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। पुष्कर मेले को राजस्थान का सबसे बड़ा मेला भी कहा जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर मेले में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन हिन्दुओं के सभी देवी-देवता पुष्कर झील में एकत्रित होते हैं। धार्मिक पुस्तकों में चारों धामों की यात्रा करने के बाद पुष्कर झील में डुबकी लगाने को अनिवार्य माना गया है। मान्यता है कि ऐसा नहीं करने पर सारे पुण्य निष्फल हो जाते हैं। पुष्कर सरोवर के चारों ओर 52 घाट और लगभग कई मंदिर बने हुए हैं।
पद्मपुराण में भी पुष्कर सरोवर का जिक्र मिलता है। मान्यता है कि किसी समय इस स्थान पर वज्रनाभ नाम का राक्षस रहता था। उसे बच्चों को हानि पहुंचाने में मजा आता था। ऐसे में भगवान ब्रह्माजी ने भगवान श्रीविष्णु की नाभि से निकले कमल को वज्रनाभ पर फेंककर मारा। इससे वज्रनाभ का अंत हो गया। भगवान ब्रह्माजी के हाथ से निकलकर कमल जहां गिरा, उस स्थान पर एक सरोवर बन गया। जिसे पुष्कर सरोवर कहते है। भगवान ब्रह्माजी ने बाद में यहां आकर यज्ञ भी किया था।
रामायण में बताया गया है कि ऋषि विश्वामित्र ने इस स्थान पर आकर तप किया था। इसके अलावा पुलस्त्य ऋषि ने भी भीष्म पितामह को विभिन्न तीर्थों के बारे में जानकारी देते हुए पुष्कर तीर्थ को सबसे अधिक पवित्र बताया था।