भारत का एक ऐसा प्राचीन विश्वविद्यालय, पूरी दुनिया में थी जिसकी ख्याति

भारत वर्ष में पुरातन संस्कृति और व्यवस्थाओं का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। ऋषि-मुनियों और आचार्यों के इस देश में पुरातन काल से ही शिक्षा को अत्यधिक महत्व दिया जाता रहा है। हमारा देश शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा अग्रणी रहकर विश्व प्रसिद्ध रहा है। यहां बहुत से गुरुकुल, विद्यालय और विश्वविद्यालय संचालित किए जाते थे। अत्यंत प्राचीन शिक्षा केंद्रों में नालंदा विश्वविद्यालय और तक्षशिला विश्वविद्यालय का नाम तो अधिकांश लोगों ने सुन ही रखा है, लेकिन उस काल में और भी कई शिक्षा केंद्र के रूप में कई और विश्वविद्यालय भी देश ही नहीं दुनियाभर में प्रसिद्ध थे। ऐसे ही प्राचीन विश्वविद्यालयों में शामिल है पुष्पगिरि विश्वविद्यालय।

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सबसे बड़ी बात इन बड़े शिक्षा केंद्रों और विश्वविद्यालयों की यह रही कि वहां कोई शुल्क नहीं लिया जाता था। यहां तक कि ज्यादातर निवास और भोजन की व्यवस्थाएं भी नि:शुल्क हुआ करती थीं। इसके अलावा यह बात भी उल्लेखनीय है कि शिक्षक और आचार्य भी पढ़ाने के बदले कोई वेतन या मानदेय नहीं लेते थे। वास्तव में ये शिक्षा केंद्र उस वक्त के राजा के खर्च पर संचालित होते थे।

यदि बात पुष्पगिरि विश्वविद्यालय की करें तो यह वर्तमान के ओड़िशा प्रदेश में स्थित था। इसकी स्थापना तीसरी शताब्दी में कलिंग राजाओं ने की थी। इसके बाद फिर अगले 800 साल तक यानी 11वीं शताब्दी तक इस विश्वविद्यालय का विकास अपने चरम पर था। इसकी ख्याति भी देश के साथ ही विदेशों में भी थी। इस विश्वविद्यालय का परिसर तीन पहाड़ों ललित गिरि, रत्न गिरि और उदयगिरि पर फैला हुआ था। नालंदा, तशक्षिला और विक्रमशिला के बाद प्राचीनकाल में ये विश्वविद्यालय शिक्षा का सबसे प्रमुख केंद्र था। चीनी यात्री एक्ज्युन जेंग ने इसे बौद्ध शिक्षा का सबसे प्राचीन केंद्र भी बताया है। कुछ इतिहासकारों का मत है कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना सम्राट अशोक ने करवाई थी, क्योंकि यहां से सम्राट अशोक से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य यहां से मिले हैं।

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भारत के पुराने समय में चीन और गांधार सहित कई देशों के विद्यार्थी यहां के शिक्षा केंद्रों में अध्ययन करने का सपना देखते थे। यहां के शिक्षा केंद्रों में योग्यता और कौशल का परीक्षण करने के बाद विद्यार्थी की क्षमता के अनुसार प्रवेश दिया जाता था और इन केंद्रों पर अर्थशास्त्र, ज्योतिष, अंतरिक्ष विज्ञान, गणित, मल्ल युद्ध, वास्तु शिल्प और काष्ठ कला तक सिखाई जाती थी। इस तरह ये प्राचीन केंद्र शिक्षा का महत्व बताते हुए आज भी प्रेरणा देते हैं।