राक्षस का अंत करने पर कान्हा से रूठ गई थी राधा रानी

जब भी कभी निश्छल और अलौकिक प्रेम की बात होती हैं तो भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का नाम जरुर आता हैं। आज भी लोग सच्चे प्रेम के उदाहरण के लिए भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की ही बात करते हैं। पति-पत्नी नहीं होने के बावजूद आज भी भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा रानी का नाम लिया जाता है। पुराणों में राधा रानी को कृष्‍ण की शाश्‍वत जीवन संग‍िनी कहा जाता हैं। दोनों के बीच प्रेम ऐसा कि चोट कान्‍हा को लगे तो पीर राधा को होती। इतना मधुर प्रेम होने के बावजूद एक समय ऐसा भी आया जब राधा ने श्रीकृष्ण से दूर रहने के लिए कह दिया। यहां तक कि राधा ने कृष्ण से यह भी कह दिया कि मुझे मत छूना।ImageSource

शास्त्रों के अनुसार एक बार दुष्ट कंस ने भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए अरिष्टासुर नाम के राक्षस को भेजा। अरिष्टासुर राक्षस बहुत ही चालाक था। वह गाय के बछड़े के भेष में भगवान श्रीकृष्ण की गायों के झुंड में मिल गया और छोटे-छोटे ग्वालों को मारने लगा। यह देख भगवान श्रीकृष्ण गुस्सा हो गए और राक्षस को जमीन पर पटककर उसका अंत कर डाला। इस पर राधा और अन्य गोपियों को लगा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गाय के बछड़े को मारा हैं। इसलिए उनको गौ हत्या का पाप लगेगा। इससे राधा भगवान श्रीकृष्ण से नाराज हो गई और कहा कि गौ हत्या के मुक्त होने के लिए आपको देशभर के सारे तीर्थों का दर्शन करके आना पड़ेगा।

भगवान श्रीकृष्ण चिंता में पड़ गए और उन्होंने देवर्षि नारद से इसका उपाय पूछा। इस पर देवर्षि नारद ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि आप सभी तीर्थों को जल के रूप में उस जगह पर बुलाए, जहां आपने राक्षस का वध किया था और फिर सभी जल को मिलाकर नहा लीजिए। इससे आप पाप से मुक्त हो जाएंगे। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी एड़ी जमीन पर पटकी और बांसुरी बजाई, जिससे वहां जल की धारा बहने लगी और एक कुंड बन गया। भगवान श्रीकृष्ण ने सब तीर्थों से कहा इसमें जल बनकर आ जाओ। सभी तीर्थ उनकी बात मानकर कुंड में प्रवेश कर गए। फिर भगवान श्रीकृष्ण उस कुंड में नहाए और पाप से मुक्त हुए।ImageSource

इसके बाद राधा ने उस कुंड से कुछ दूर अपने कंगन से एक कुंड और बना दिया। फिर अन्य गोपियों की सहायता से कुंड को बड़ा कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण को यह बहुत अच्छा लगा और उन्होंने राधा से वादा किया कि वो रोज़ उसमें नहाएंगे। मान्यता है कि मथुरा से कुछ दूरी पर आज भी यह दोनों कुंड मौजूद हैं। खास बात यह है कि दोनों कुंड अंदर से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसके बावजूद एक कुंड का पानी सफेद और एक का थोड़ा काला है।