मंत्रोच्चार जिनकी सहायता से रक्षा बंधन को बना सकते हैं विशेष

हमारे धर्म में न केवल प्रत्येक तीज त्योहार का महत्व है, बल्कि उन्हें मनाने के विशेष कारण और विधि भी मौजूद हैं। यही वजह है, कि हिन्दू धर्म को दुनिया का सबसे वैज्ञानिक धर्म माना जाता है। भारत में मनाए जाने वाले सबसे बडे़ त्योहारों में से एक रक्षा बंधन भी जल्दी ही आने वाला है। आइए आज हम रक्षा बंधन से जुड़ी कहानी और इस पर्व को मनाते समय किए जाने वाले मंत्रोच्चार के बारे में जानते हैं। यह त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो इस बार 3 अगस्त को आने वाली है।

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माना जाता है, कि भगवान श्रीकृष्ण ने जब शिशुपाल का अंत किया था तो, उनके हाथ में चोट लग गई, और खून बहने लगा था, जिसे रोकने के लिए द्रौपदी ने अपनी साड़ी का हिस्सा फाड़कर उनके हाथ पर बाँध दिया था। उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को मुँहबोली बहन बनाते हुए वचन दिया था, कि वो हर संकट की घड़ी में उनकी रक्षा करेंगे।
और जिस दिन ये घटना हुई, उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी,
तभी से हमारे देश में रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है, और जिस तरह से भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया था, उसी तरह हर भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है।

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साथ ही यह बात भी कम लोगों को पता होगी, कि रक्षा सूत्र बाँधने के समय उच्चारण के लिए भी हमारे धर्म में मंत्र उपलब्ध हैं।
रक्षा सूत्र भाई को बाँधा जा रहा है या अपने गुरु को, इसके अनुसार दो भिन्न मंत्रों का उच्चारण किया जा सकता है।
भाई को रक्षा सूत्र बाँधने के दौरान उनका मुख पूर्व दिशा में व बहन का पश्चिम दिशा में होना चाहिए। भाई के ललाट पर रोली, चंदन व अक्षत लगाकर तिलक करना चाहिए, उसके बाद दाहिने हाथ पर रक्षा सूत्र बाँधते समय इस मंत्र का उच्चारण करें-

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल।।

ठीक इसी तरह यदि आप अपने गुरु, या अन्य किसी पारिवारिक सदस्य को रक्षा सूत्र बाँधते समय इस मंत्र का उच्चारण करें-

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां रक्षबन्धामि रक्षे मा चल मा चल ।।

इस तरह आप अपने लिए रक्षाबंधन का पर्व विशेष बना सकते हैं।