भारत की रग-रग में बसने वाले और जन-जन के हृदय सम्राट भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार कुछ न कुछ दान करना चाहता है। यही कारण है कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के दफ्तर और पदाधिकारियों को दान करने की प्रक्रिया समझने के लिए रोज सैकड़ों फोन आ रहे हैं। कोई अकाउंट नंबर पूछ रहा है, कोई नकद देने की बात कर रहा है तो कोई सोने या चांदी की शिलाएं दान करना चाहता है। इसी तरह बहुमूल्य धातुओं की ईंट या अन्य वस्तुएं दान करने की प्रक्रिया भी फोन पर पूछी जा रही है। दान करने की उत्सुकता इतनी अधिक है कि लॉकडाउन में भी एक क्विंटल से अधिक चांदी और 5 करोड़ से ज्यादा रुपए इकट्ठा हो गए हैं।
वैसे मंदिर निर्माण की लागत एक अरब से अधिक की होगी, इसलिए राम जन्मभूमि ट्रस्ट दान के लिए बाकायदा अभियान चलाने का विचार कर रहा है। इसके लिए विज्ञापन दिए जाएंगे और सोशल मीडिया पर कैम्पेन भी शुरू किया जाएगा। ट्रस्ट के लोग भी दान मांगने गांव-गांव घर-घर पहुंचेंगे। कई लोग कुरियर के माध्यम से चेक और अन्य सामग्री भेज रहे हैं।
कल 5 अगस्त को रामलला मंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी कई वरिष्ठ नेताओं, साधु-संतों और उद्योगपतियों की उपस्थिति में भूमिपूजन करेंगे। इसकी लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इसमें कोई शक नहीं कि मंदिर निर्माण में धन की कोई कमी नहीं आएगी। लोग श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दिल खोलकर दान दे रहे हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दान के लिए अकाउंट नंबर जारी कर रखा है। इसके बाद भी लोग हर रोज दान के संबंध में जानकारी लेने के लिए फोन कर रहे हैं। वजह यह है कि सब लोग वेबसाइट पर जाकर या सोशल मीडिया में यह जानकारी नहीं देख पाते हैं और सीधे ट्रस्ट के दफ्तर में फोन लगाकर पूछते हैं।
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को उम्मीद है कि भूमि पूजन और कोरोना की महामारी समाप्त हो जाने के बाद बाहर से रामलला के दर्शन करने बड़ी संख्या में लोग आएंगे, तब दान और भी बढ़ेगा। अभी कम लोग आ रहे हैं, जिससे दान अपेक्षा से कम आ रहा है।
देशभर से कई लोग श्री राम मंदिर निर्माण के लिए चांदी की ईंट भेंट करने का ऐलान कर रहे हैं, लेकिन ट्रस्ट उन्हीं शिलाओं की गिनती कर रहा है जो कार्यालय के रिकॉर्ड में आ रही हैं, जोकि एक क्विंटल से ज्यादा वजन की हैं। ट्रस्ट चाहता है कि चांदी की ईंट के बजाय रुपए बैंक अकाउंट में डालें, इससे शिलाओं को रखने और उनकी सुरक्षा की परेशानी कम हो जाएगी।ImageSource
लोग अपनी भावनाओं और आस्थाओं के अनुसार अलग-अलग वस्तुएं कुरियर से भेज रहे हैं, इसमें हथेली के आकार से लेकर बड़े-बड़े कलश भी शामिल हैं। लोग तो थोड़ी-थोड़ी मिट्टी भी कुरियर के जरिए भेज रहे हैं। कार्यालय में कुरियर से आई सामग्रियों का ढेर लग गया है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भी जानता है कि वस्तु से ज्यादा लोगों की आस्था महत्वपूर्ण है, यह भी तय है कि मंदिर निर्माण के लिए राम भक्त धन की कमी नहीं आने देंगे। इसके लिए लोग फोन तो कर ही रहे हैं, लेकिन वे पैदल भी चले आएं तो कोई बड़ी बात नहीं।