तो इस वजह से राम मंदिर के लिए पत्थर जा रहे हैं अयोध्या शहर के अन्दर से

श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए जिस तरह की तैयारियां हैं, उससे यही लग रहा है कि, तय समय के अनुसार भगवान श्रीराम का मंदिर बनकर तैयार हो जायेगा. राम मंदिर के लिए पत्थरों कि तराशी का काम भी पूरा हो चुका है. तराशे गये पत्थरों की पहली खेप रामजन्मभूमि परिसर में सकुशल पहुंचाने के बाद अब शेष पत्थरों की ढुलाई आज यानी सोमवार से शुरू हुई है. इसके बाद रामघाट स्थित कार्यशाला में रखे सभी पत्थरों को एक-एक कर परिसर में पहुंचा दिया जाएगा. इस काम के लिए पूरी तैयारी की गई है. पत्थरों की ढुलाई का काम शहर के आंतरिक मार्ग से ही किया जाएगा. इसके पीछे एक बड़ी वजह है. असल में पत्थरों कि तराशी का ये कार्य लम्बे समय से चल रहा है. और इसके लिये सालों की मेहनत लगी है. तो ऐसे में ये सभी पत्थर मंदिर तक सकुशल पहुंचना भी बड़ी ज़िम्मेदारी है. और बाईपास व परिक्रमा मार्ग समतल न होने के कारण वाहनों से पत्थरों के खिसकने और उसकी वजह से दुर्घटना का भी खतरा है. इसके अलावा तराशे गये पत्थरों के भी क्षतिग्रस्त होने की आशंका है.

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दरअसल बाईपास यानी गोरखपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग 27 पर रात-दिन भारी यातायात संचालित होता रहता है. इसके अतिरिक्त परिक्रमा मार्ग पर न्यूनतम यातायात होने के बाद भी सड़क कहीं-कहीं संकरी होने के साथ पटरियों के किनारे गहरे गड्ढे हैं. इसके चलते इस मार्ग को सही नहीं बताते हुए, पत्थरों को अयोध्या शहर के अन्दर से ही ले जाने का निर्णय किया गया है.

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तो दूसरी तरफ राम मंदिर के निर्माण कार्य में भी काफी गति आ गई है. पहली और दूसरी मंजिल के भूतल का पूरा ढांचा बनाकर तैयार हो चुका है. रामजन्मभूमि की रामघाट स्थित कार्यशाला के प्रभारी अन्नू भाई सोमपुरा का कहना है कि वर्ष 1990 में शुरू हुई इस कार्यशाला में राम मंदिर के प्रस्तावित मॉडल के अनुसार पहली व दूसरी मंजिल के 106-106 यानि कुल 212 स्तम्भ बनकर तैयार हैं. इसके अलावा भूतल का पूरा ढांचा भी तैयार किया जा चुका है.