अयोध्या में प्रभु श्रीराम के अन्दिर का निर्माण हो रहा है. दुनिया भर के रामभक्त अपने आराध्य के मंदिर के बनने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. सदियों के संघर्ष के बाद ये शुभ घड़ी हम सबको देखने को मिली है. इसी पर बात करते हुए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के महासचिव एवं विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपतराय जी ने कहा कि, अयोध्या का नियोजित श्रीरामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण जनता के आर्थिक सहयोग से होगा. मकर संक्रांती से इस के लिये निधी संकलन किया जाएगा. श्रीरामजन्मभूमी मंदिर निर्माण और निधी संकलन के बारे में अधिक जानकारी देने के लिये पत्रकार परिषद का आयोजन किया गया था.
आगे बात करते हुए उन्होंने बताया कि, अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि को फिर से प्राप्त करने के लिए लम्बी लड़ाई थी. पहले वहां मंदिर था. विदेशी आक्रमणकारियों ने मंदिर तुड़वाया यह राष्ट्र का अपमान था. इसीलिए हमने अपने हक की लड़ाई में इस स्थान को वापस लिया. यह आंदोलन देश के सम्मान की रक्षा का आंदोलन था. इस के लिये रामभक्तों ने 500 वर्षों तक संघर्ष किया. अंततः समाज की भावनाओं को सबने समझा. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी इतिहास की सच्चाइयों को सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार किया और भारत सरकार को निर्देश दिया कि वो राम जन्मभूमि के लिए एक ट्रस्ट की घोषणा करें, और सरकार ने उसका पालन करते हुए “श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र” के नाम से ट्रस्ट की घोषणा की. पहले मंदिर का प्रारूप थोड़ा छोटा था. फिर लगा कि, यहाँ भूमि पर्याप्त है, जिसे देखकर प्रारूप बड़ा किया गया है उसके अनुसार अन्य सारी तैयारियां हुई है. प्रधान मंत्री महोदय ने 5 अगस्त को अयोध्या में भूमि पूजन करके मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया को गति प्रदान की. मंदिर के निर्माण की तैयारी चल रही है. मिट्टी का परीक्षण हुआ है, गर्भगृह के पश्चिम में सरयू जल का प्रवाह, और धरती के नीचे भुरभुरी बालू ये वहाँ की भौगोलिक अवस्था है.
भारत वर्ष की वर्तमान पीढ़ी को इस मंदिर के इतिहास की सच्चाइयों से अवगत कराने की योजना बनी है. विचार किया है कि देश की कम से कम आधी आबादी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की एतिहासिक सच्चाई से अवगत कराया जाए, इसके लिए घर घर जाकर संपर्क करेंगे, देश का कोई कोना छोड़ा नहीं जाएगा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड अंडमान निकोबार, कच्छ के रण से पर्वतीय क्षेत्र सभी कोनों तक जाएँगे, समाज को राम जन्मभूमि के बारे में पढ़ने के लिए साहित्य दिया जाएगा, देश में हर जगह सबकी यही इच्छा है कि भगवान की जन्मभूमि पर मंदिर बने.
हमारी इच्छा है कि जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिये लाखों भक्तों ने कष्ट सहे, सहयोग किया, उसी प्रकार मंदिर करोड़ों लोगों के स्वैच्छिक सहयोग से बने, स्वाभाविक है. जब जनसंपर्क होगा लाखों कार्यकर्ता गाँव और मोहल्लों में जाएँगे समाज स्वेच्छा से कुछ न कुछ सहयोग करेगा. भगवान का काम है, मन्दिर भगवान का घर है, भगवान के कार्य में धन बाधा नहीं हो सकती, समाज का समर्पण कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे. आर्थिक विषय में पारदर्शिता बहुत आवश्यक है, पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हमने दस रुपया, सौ रुपया, एक हज़ार रुपया के कूपन व रसीदें छापी हैं. समाज जैसा देगा उसी के अनुरूप कार्यकर्ता पारदर्शिता के लिए कूपन या रसीद देंगे. करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुँचेगा. जनसंपर्क का यह कार्य मकर संक्रांति से प्रारंभ करेंगे और माघ पूर्णिमा तक पूर्ण होगा.