राम’ सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का एक ऐसा नाम और व्यक्तित्व है जिसने मानव समाज ही नहीं बल्कि समस्त जीवों को एक समान मानकर उनके सुख, शांति और उत्थान का जीवन भर प्रयास किया। इसीलिए देश, काल और धर्म की हर सीमा से परे वह राम नाम सारे संसार के काम का है।
राम की जितनी मान्यता ईश्वर के अवतार के रूप में है उतनी ही मान्यता और उपयोगिता एक आदर्श मानव चरित्र के रूप में भी है। एक चक्रवर्ती सम्राट के सबसे बड़े बेटे, बचपन से ही दयावान, चरित्रवान, बुद्धिमान रहे हैं राम। इसके बावजूद उन्होंने कभी अपनी बुद्धि, विवेक, ज्ञान और बल का अभिमान नहीं किया।
राम ने अपने हर व्यवहार से, हर काम से सारे संसार को-
आदर्श मानव होने का संदेश दिया है।
राम ने यह संदेश सिर्फ बोलकर या भाषण देकर नहीं दिया बल्कि बचपन से लेकर धरती छोड़कर जाने तक राम ने अपने हर काम से अपने हर व्यवहार से इन सभी आदर्शों को स्थापित किया और प्रमाणित किया है।
चाहे इंसानी रिश्ते निभाने की बात हो,
आपसी प्रेम सद्भाव बढ़ाने की बात हो,
दूसरों के काम की तारीफ़ करने की बात हो,
दूसरों को संतुष्ट करने की बात हो, राम ने अपनी खुशी से पहले दूसरों की खुशी,
अपनी सुविधा से पहले दूसरों की सुविधा और अपने अधिकारों से पहले दूसरों के अधिकारों का ध्यान जीवन भर रखा। वही कर्तव्यों को निभाने में राम जी सबसे पहले, सबसे आगे रहे। राम ने अपने हर व्यवहार से, हर काम से जीवन भर एक सच्चा आदर्श प्रस्तुत किया है।
इसीलिए राम मात्र किसी देश या धर्म के नहीं बल्कि संसार के हर इंसान और हर प्राणी के लिए एक आदर्श हैं।