अत्रि अनुसुइया के आश्रम में

माता कौशल्या और माता सुनैना का आपसी संवाद नारी शक्ति के लिए स्वयं में बहुत सारे उपयोगी संदेश समेटे हुए है। जहां रघुवंश के चारों पुत्रों ने धर्म पालन और त्याग से सबको चकित किया वहीं जनक वंश की चारों पुत्रियों ने भी अद्वितीय त्याग और सेवा का कीर्तिमान बनाया।

उर्मिला मांडवी श्रुतकीर्ति – इन तीनों ने भी सीता जी के समान ही महान त्याग किए। इतनी घोर विपत्ति के समय भी किसी ने अपने अधिकारों की मांग नहीं की, सब अपना अपना कर्तव्य निभाते रहे। ऐसी विकट परिस्थिति में माता सुनैना द्वारा तीनों पुत्रियों को समझाई गई बातें और सीता जी की इन तीनों बहनों का चरित्र और व्यवहार संसार की हर नारी के लिए जानने समझने और जीवन में उतारने योग्य है।

इधर वन में महासती अनुसूया माता द्वारा सीता जी को पतिव्रत धर्म की जो शिक्षा दी गई उसे अगर नारियां अपने जीवन में उतार लें तो सारे पारिवारिक कलह समाप्त हो सकते हैं।

Jai Shriram 🙏#goodmorning

Gepostet von Arun Govil am Freitag, 29. Mai 2020

माता अनुसूया ने अपने तप के बल से गंगा जी की एक धारा जिसे मंदाकिनी कहते हैं धरती पर उतारा है। अपने तप के बल से ब्रह्मा विष्णु महेश को बालक बनाकर अपनी गोद में खिलाया परंतु इन सारे अलौकिक कार्यों का कारण वे पति की सेवा पूजा और पतिव्रत धर्म का पालन बताती हैं।

आशीर्वाद और उपहार स्वरूप अनुसूया माता ने सीता जी को कुछ ऐसे वस्त्र आभूषण और सौंदर्य प्रसाधन दिए जो शरीर की कांति बढ़ाने वाले और कभी मैले ना होने वाले थे। गंभीरता से सोचने वाली बात है कि हमारा तब का साइंस भी कितना एडवांस था। ऐसे कपड़े जो कभी मैले नहीं होते। ऐसे-ऐसे सौंदर्य प्रसाधन उबटन लेप जिनके उपयोग से शरीर की कांति और यौवन अविनाशी बने रहते हैं।

शरभंग मुनि के आश्रम का अलौकिक दृश्य, अंतरिक्ष से विमानों का धरती पर आना जाना, धरती के समर्थ तपस्वियों का अंतरिक्ष में आना जाना। हमारे विकसित ज्ञान विज्ञान और तकनीकी उपलब्धियों का जीवंत प्रमाण है। इनको हमें बारीकी से जानना समझना चाहिए और इन पर हमें गर्व करना चाहिए। हमारे भारतीय इतिहास में अंतरिक्ष विज्ञान आज से नहीं युगों युगों से बहुत विकसित रूप में चला रहा है।

 

वन में अनेकानेक संतों मुनियों ऋषियों के सत्संग के संदर्भ में राम जी सीता और लक्ष्मण से कहते हैं कि  ‘जैसे सूर्य के प्रकाश में बैठने पर सूर्य की ऊर्जा अपने आप शरीर में प्रवेश कर जाती है वैसे ही संतो और अच्छे इंसानों के दर्शन करने से और उनके संपर्क में रहने से अच्छे विचार अच्छे गुण अपने आप जीवन में चले आते हैं।

रामायण का अरण्य कांड अपने आप में समस्त वेदों शास्त्रों पुराणों आदि का सारांश समेटे हुए हैं।