भये प्रगट कृपाला दीन दयाला

अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ के यहां राम भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न के रूप में भगवान विष्णु ने अपने अंशों सहित अवतार लिया और बचपन से ही मानवता के लिए एक आदर्श व्यवहार स्थापित करने लगे।

अपनी अवस्था के सभी बच्चों के साथ खेलना खाना और सबको सम्मान देना, अपनी सुख-सुविधा से पहले दूसरों की सुख सुविधा का ध्यान रखना, किसी से भी कोई भेदभाव न कर के समान व्यवहार रखना आदि आदि छोटे-छोटे मानवीय गुण और संस्कार बचपन से ही राम जी के व्यवहार में रहे।

ये बिल्कुल सही है एक कि बच्चों की पहली गुरू मां होती है और इन चारों भाईयों को भी अपनी माताओं द्वारा बहुत ऊँचे संस्कार दिए गए और उन्हीं संस्कारों के कारण चारों भाई सवेरे उठकर सबसे पहले माता-पिता गुरुओं और सभी बड़ों को प्रतिदिन प्रणाम करते, उनकी हर बात मानते और अपना कोई भी काम उनसे पूछ कर या उनको बता कर ही करते।

जय श्रीराम🙏#goodmorning

Gepostet von Arun Govil am Samstag, 16. Mai 2020

 पारिवारिक प्रेम और सामाजिक उत्थान के लिए ये छोटे-छोटे व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण हैं जिनका आज अभाव होता जा रहा है।

सवेरे उठने पर एक बार अपनी हथेलियों को देख लेना, धरती पर पैर रखने से पहले धरती माता को प्रणाम कर लेना, सूर्य भगवान को प्रणाम कर लेना आदि ऐसे संस्कार और अच्छे व्यवहार हैं जो हमें प्रकृति और धर्म से भी जोड़े रखते हैं साथ ही हमारे पारिवारिक माहौल को भी सकारात्मक और प्रेम पूर्ण बनाए रखते हैं।

रामायण यही सब छोटे छोटे बड़े बड़े मानवीय गुण हमें सिखाती है और इसी लिए आवश्यक है रामायण का पठन पाठन।