भगवान श्रीराम ने धरती पर मनुष्य रुप में जन्म लिया था। लेकिन ये सब विधि का विधान था। सब कुछ पहले से ही तय था। नीयति का निर्माण भी प्रभु की कृपा से होता है, और यहां तो साक्षात नारायण का अवतरण हुआ था। आज युग और समय सबकुछ बदल गया है। लेकिन प्रभु तो सदैव रहेगें, और उनकी महिमा भी हमारे साथ ही रहेगी।
दुनिया भर के कई देशों में भगवान राम को माना- पूजा जाता है और अलग-अलग देशों में कितने तरह की रामायण प्रचलित हैं, यह जानकार आप हैरान हो जाएंगे। भगवान राम के जीवन और आदर्शों पर आधारित अलग-अलग नामों से कई रामायण लिखी गई हैं। यह भी इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम बहुल देश में भगवान राम का नाम कितने आदर के साथ लिया जाता है। आइए, जानते हैं ऐसी ही कुछ बातें रामायण के बारे में-
वाल्मीकि रामायण- सबसे प्राचीन और प्रमुख है वाल्मीकि रामायण। यह रामायण महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम के जीवन काल में ही लिख दी थी, इसीलिए संस्कृत में लिखे इस ग्रंथ को सबसे प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है। भगवान राम ने जब माता सीता को वनवास दिया तो वे वाल्मीकि जी के आश्रम में ही रही थीं, उन्होंने यहीं पर लव और कुश को जन्म दिया।
श्री रामचरित मानस- भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रस्तुत करने वाली रामायण की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की और इस महा ग्रंथ का नाम श्रीरामचरित मानस रखा। गोस्वामी तुलसीदासजी का जन्म संवत् 1554 को हुआ था। गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस की रचना अवधी भाषा में की। कहा जाता है कि रामचरितमानस को भगवान शिव ने सत्यम शिवम सुंदरम लिखकर प्रमाणित किया है।
कम्बन रामायण : तमिल में रची गई कम्बन रामायण दक्षिण भारत में ज्यादा प्रचलित है। इसे ‘इरामावतारम्’ भी कहते हैं। इसकी रचना तमिल कवि कम्बन ने की थी।
अद्भुत रामायण : संस्कृत में रचे गए इस महा ग्रंथ में 27 सर्गों का उल्लेख है। कहा जाता है कि इस ग्रंथ की रचना भी वाल्मीकि ने की थी। लेकिन यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि इसकी रचना किसने की थी। संभवत: इसीलिए इसे अद्भुत रामायण कहा जाता है।
आनंद रामायण : इस रामायण के 9 कांड रचे गए हैं। पहले में 13, दूसरे में 9, तीसरे में 9, चौथे में 9, पांचवें में 9, छठे में 9, सातवें में 24, आठवें में 18, नौवें में 9 सर्ग लिखे गए हैं।
संगीत रामायण : संगीत रामायण के नाम से नथाराम गौड़ सहित कई लेखकों ने ग्रंथ लिखे हैं। इस रामायण का उपयोग रामलीला मंडल करते हैं। इसमें छंद और भजनों के माध्यम से भगवान राम के समूचे चरित्र का वर्णन मिलता है।
राधेश्याम रामायण- राधेश्याम रामायण ग्रामीण क्षेत्रों में काफी प्रचलित है। इसमें छंद, दोहा, चौपाई जैसा कुछ भी नहीं है सीधे-सीधे भगवान राम की कथा लिखी गई है।
300 से ज्यादा रामायण – अन्य रामायण में असम में असमी रामायण, उड़िया में विलंका रामायण, कन्नड़ में पंप रामायण, कश्मीर में कश्मीरी रामायण, बंगाली में रामायण पांचाली, मराठी में भावार्थ रामायण भी प्रचलित है। इस प्रकार दुनियाभर में 300 से ज्यादा रामायण प्रचलित हैं।
हमारे विविधता वाले देश में रामायण भले ही अलग-अलग नामों से, अलग-अलग भाषाओं में लिखी गई हो लेकिन सभी जगह भगवान राम का चरित्र सत्य और आदर्शों पर आधारित है।