कुछ खास बातें जिनमें झलकती है रामायण की महानता

भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित ‘रामायण’ को हम सभी ने पढ़ा, सुना या देखा है। ‘रामायण’ से हमारे जीवन को एक नई दिशा मिलती है। ‘रामायण’ के सभी किरदारों और उसमें घटे प्रसंगों से हमें कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है। हम सभी ‘रामायण’ के किरदारों और प्रसंगों से भली भांति परिचित हैं। हालांकि रामायण के ऐसे कई रोचक प्रसंग भी हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होगी।

1. भगवान श्रीराम की माता कौशल्या को भगवान विष्णु ने उनके पूर्व जन्म में ही त्रेता युग में उनके गर्भ से जन्म लेने का वरदान दिया था।

2. मान्यता है कि भगवान श्रीराम की एक बहन भी थी, जिसका नाम शांता था। माता कौशल्या ने शांता के जन्म के बाद उसे अपनी बहन को गोद दे दिया था।

3. राजा दशरथ नहीं चाहते थें कि श्रीराम वनवास जाए। इसलिए उन्होंने श्रीराम को सुझाव दिया कि तुम मुझे बंदी बनाकर राजगद्दी पर बैठ जाओ। लेकिन श्रीराम ने ऐसा करने से मना कर दिया।

4. आनंद रामायण के अनुसार ब्रम्हा जी ने रावण को पहले ही बता दिया था कि राजा दशरथ और कौशल्या का पुत्र उसकी मौत का कारण बनेगा। इसलिए रावण ने माता कौशल्या का भी अपहरण कर उन्हें समुद्र से घिरे एक द्वीप पर छोड़ दिया था।

5. शास्त्रों के अनुसार एक बार रावण भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंच गया। कैलाश पर्वत पर जब रावण ने नंदी को देखा तो उसका यह कहते हुए उपहास किया कि तुम्हारा मुंह तो बंदर जैसा है। इससे क्रोधित नंदी ने रावण को श्राप दिया था कि तुम्हारी मृत्यु बंदर के कारण ही होगी।

6. अपने विजय अभियान के दौरान रावण जब स्वर्ग में पहुंचा तो वह रम्भा नाम की अप्सरा पर मोहित हो गया। रावण ने जब रम्भा की इच्छा के विरुद्ध उसे छूने की कोशिश की तो नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया कि अब से तूने किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छूने की कोशिश की तो तेरे सर के 100 टुकड़े हो जाएंगे।

7. रावण ने विजय युद्ध के दौरान अयोध्या के राजा अनरन्य को हराया था। राजा अनरन्य ने मरने से पहले रावण को श्राप दिया था कि तेरी मृत्यु मेरे कुल के किसी व्यक्ति द्वारा होगी।

8. एक बार वेदवती नाम की स्त्री भगवान विष्णु को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। इस दौरान पुष्पक विमान से जा रहे रावण की नजर वेदवती पर पड़ी तो वह उस पर मोहित हो गया। रावण वेदवती को उसकी इच्छा के बिना अपने साथ ले जाना चाहता था, लेकिन वेदवती ने रावण को यह श्राप देते हुए अपने प्राण त्याग दिए कि उसकी मृत्यु किसी स्त्री के कारण होगी।

9. माता सीता के हरण के बाद ब्रम्हा जी ने इंद्रदेव के हाथों एक दिव्य खीर माता सीता तक पहुंचाई थी। इस खीर को पीने के बाद माता सीता कई दिनों तक अशोक वाटिका में बिना कुछ खाए पिए रह सकी।

10. एक बार रावण और यमराज के बीच युद्ध छिड़ गया। इस दौरान यमराज कालदंड से प्रहार कर रावण का अंत करना चाहते थें, लेकिन ब्रह्मा ने यमराज को रोक दिया। दरअसल रावण को वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु किसी देवता के द्वारा नहीं होगी।