मथुरा में रामराज्य आया

शत्रुघ्न द्वारा मथुरा के उस अत्याचारी शासक का वध हुआ और वहां शत्रुघ्न की छाया में राम राज्य की स्थापना हुई।

मथुरा का राज सिंहासन संभाल लेने पर महर्षि च्यवन ने संपूर्ण मंत्रिमंडल और प्रजा जनों की ओर से महाराज शत्रुघ्न का स्वागत करते हुए कहा- ‘आज सारी प्रजा को अभयदान मिल गया है। अब सबको अपने-अपने धर्म के अनुसार कर्म करने की स्वतंत्रता होगी। समस्त वर्णों, जातियों, नागरिकों, वन में रहने वाले पशु पक्षियों और यहां की वनस्पतियों की रक्षा का उत्तरदायित्व हम आपको सौंपते हैं।’

यहां महर्षि च्यवन ने नागरिकों के साथ ही पेड़ पौधों वनस्पतियों की सुरक्षा का आग्रह किया है। जिससे यह समझ में आता है कि पेड़-पौधे और वनस्पतियां हमारे जीवन के लिए तब भी बहुत उपयोगी थे और आज भी उतने ही उपयोगी हैं। वनों जंगलों और उपयोगी वनस्पतियों की उपेक्षा समाज के लिए हानिकारक है।
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Jai Shriram 🙏#goodmorning

Gepostet von Arun Govil am Freitag, 12. Juni 2020

इधर आश्रम में महर्षि वाल्मीकि ज्योतिष विद्या से लव कुश का पूरा जीवन वहीं बैठे बैठे देखते हैं। यह गंभीरता से जानने समझने और मान लेने वाली बात है की ज्योतिष विज्ञान अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है मानव समाज के लिए और सौभाग्य से हम भारतीयों को यह महाविद्या ऋषि मुनियों द्वारा विरासत में मिली हुई है, हमें इस ज्योतिष विद्या का संरक्षण और संवर्धन करना चाहिए।
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एक दिन राम जी को यह समाचार मिलता है कि अगस्त्यमुनि ने 12 साल जल में समाधिस्थ रहकर तपस्या की है जो अब पूरी हुई तो राम जी स्वयं उनके दर्शन को जाते हैं। यहां योग का प्रभाव देखने समझने लायक है।  अगर कोई योग द्वारा साधना कर ले तो वह असंभव लगने वाले भी बहुत सारे कार्य कर सकता है।

आज हम काफी हद तक अपनी इन सनातन उपलब्धियों को भूल रहे हैं चाहे वह ज्योतिष हो, चाहे योग हो। यह विद्या, यह महत्वपूर्ण ज्ञान हमेशा मानव के काम आया है, भले ही वह कोई भी युग रहा हो। और आज भी इनकी महत्ता किसी से छिपी नहीं है।