इन्द्र का रथ ले मातलि आये

रावण तपस्या से प्राप्त किए मायावी रथ पर और राम जी शौर्य, धैर्य, सत्य शील, बल, विवेक, परोपकार, दया, क्षमा, समता, ईश्वर भजन, बड़ों का पूजन , माता पिता का सम्मान आदि गुणों से प्राप्त आशीर्वाद रूपी रथ पर।

विभीषण के चिंतित होने पर राम जी कहते भी हैं- ऐसा धर्ममय और दृढ़ रथ जिसके पास हो वो रावण तो क्या संसार रूपी महान अजेय शत्रु को भी जीत सकता है।
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राम और रावण का आमना-सामना होने पर रावण अपने स्वभाव के अनुसार फिर अपनी अहंकार भरी बातें प्रारंभ कर देता है इस पर राम जी कहते हैं–रावण संसार में तीन प्रकार के मनुष्य होते हैं-एक वे जो मात्र कहते हैं करते कुछ नहीं, एक वे जो कहते भी हैं और करते भी हैं, और एक वे जो सिर्फ करते हैं, कह कह कर अपनी करनी का प्रचार नहीं करते।
और इसके बाद निर्णय की ओर जाता हुआ धर्म और पाप का भीषण युद्ध प्रारंभ हो जाता है।
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विभीषण को देखकर रावण आग बबूला हो जाता है और एक शक्ति फेंकता है जिसे राम जी अपने ऊपर ले लेते हैं।
विभीषण कृतज्ञ भाव से कहते हैं- ‘प्रभु मुझ जैसे एक तुच्छ राक्षस के लिए आपने अपने प्राण दांव पर लगा दिए?’
इस पर राम जी कहते हैं —

मित्रता जाति पाँति को नहीं देखती महाराज विभीषण। जिसे मित्र कहो उसकी आपत्ति अपने ऊपर ले लो यही धर्म है।दिन भर का भीषण संग्राम बिना किसी निर्णय के संध्या होने के कारण विराम लेता है।
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Jai Shriram 🙏#goodmorning

Gepostet von Arun Govil am Samstag, 6. Juni 2020

रावण के घावों पर औषधि लगाते हुए मंदोदरी कहती है कि आप राम से संधि कर लो। रावण फिर वही अहंकार भरी बात करता है कि मैं अपनी वीरता पर कलंक नहीं लगा सकता।

मंदोदरी कहती है- ‘अत्याचार तो अत्याचार ही रहता है चाहे जितनी वीरता से किया जाए। यदि प्राणी धर्म के लिए लड़े तो वह दोनों अवस्थाओं में वीर कहलाता है चाहे वह जीते या मर जाए।’ ‘परंतु यदि प्राणी अधर्म के लिए लड़ता है तो वह जीतने पर भी अत्याचारी ही कहलाता है और हारने पर लोग कहते हैं कि किए का दंड मिल गया। उसकी सराहना कोई नहीं करता।’

आज भी समाज में जो लोग अपने स्वार्थ, उन्माद या धर्म के नाम पर पाप, अत्याचार, भ्रष्टाचार, आतंकवाद करते जा रहे हैं उनको धर्म की इन शिक्षाओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए। रामायण की शिक्षाएं किसी जाति धर्म या संप्रदाय के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण मानव समाज के लिए हैं।
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मनुष्य चाहे जितना बड़ा ज्ञानी हो जाए, चाहे जितना बड़ा बलवान हो जाए, चाहे जितना बड़ा धनवान हो जाए परंतु यदि वह पाप अधर्म अत्याचार भ्रष्टाचार आतंकवाद करने लगे तो सारी प्रकृति उसके विरुद्ध हो जाती है।

आसुरीय शक्तियों को छोड़कर सारी सृष्टि रावण के विरुद्ध और राम जी के समर्थन में खड़ी है। यहां तक कि देवराज इंद्र ने ब्रह्माजी के आदेश पर अपना दिव्य रथ धरती पर राम जी के लिए भेज दिया।
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