जीवन में धन से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं धर्म, आत्मसम्मान और रिश्ते नाते

भारत देश में कई महत्वपूर्ण विद्वान हुए हैं, जिन्होंने हमें जीवन के मूल्य और आदर्श बताये ही हैं, साथ ही कुछ ऐसी ज्ञान की बातें भी बताई हैं, जो पारिवारिक और सामजिक जीवन में हम सबका मार्गदर्शन करतीं हैं. आचार्य चाणक्य भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में से एक थे.उन्हें जीवन के बहुमूल्य ज्ञान की इतनी समझ थी, जिसके बलबूते आज सम्पूर्ण समाज को उनकी सिखाई और बताई बातों से मार्गदर्शन मिलता है. वो कई विषयों का गहरा ज्ञान रखते थे. वह अर्थशास्त्र के ज्ञाता थे इसलिए इन्हें कौटिल्य और विष्णु गुप्त भी कहा जाता था. आचार्य चाणक्य द्वारा लिखित नीति शास्त्र की नीतियों में जीवन के कई क्षेत्रों से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताया गया है. चाणक्य की नीतियां मनुष्य को जीवन में सही दिशा देती हैं और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं. उनके अनुसार जीवन में आवश्यकता पूर्ति के लिए धन जरूरी है परंतु धन का धन से भी महत्वपूर्ण कई और चीजें हैं.

ImageSource

धर्म

आचार्य चाणक्य ने जीवन भर अपने सिद्धन्तों पर कार्य किया, जिसकी बदौलत उन्होंने एक सामान्य युवा को भारतवर्ष का सम्राट बना दिया. वह धन से भी महत्वपूर्ण धर्म को मानते थे. उनके अनुसार धन प्राप्ति के लिए कभी भी मनुष्य को धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए. धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कभी भी अपने मार्ग से नहीं भटकता है और समाज में सम्मान प्राप्त करता है. सम्मान और धर्म को धन से नहीं खरीदा जा सकता है।

रिश्ते-नाते

इसी तरह हर मनुष्य के लिए रिश्ते नातों की महत्ता समझाते हुए उन्होंने कहा था, धन से रिश्ते और उनमें बसा प्रेम समर्पण नहीं खरीदा जा सकता है. जब धन का भी नाश हो जाता है तब उस स्थिति में भी मित्र, परिवार और रिश्ते ही खराब समय में सहारा बनते हैं. इसलिए कभी भी धन के लिए रिश्तों का त्याग नहीं करना चाहिए.

आत्म सम्मान

और आत्मसम्मान के लिए तो वह स्वयं भी जीवन भर लड़ते रहे. राजा धनानंद के विरुद्ध सम्राट चन्द्रगुप्त को तैयार करने पीछे का कारण भी आत्मसम्मान की लड़ाई से था. उनके अनुसार किसी के लिए भी उसका आत्मसम्मान सबसे महत्वपूर्ण होता है. धन से आत्म सम्मान नहीं खरीद सकते हैं. इसलिए जब बात आत्मसम्मान की हो तो धन का त्याग कर देना चाहिए.