सनातन धर्म में तुलसी के पौधे का बहुत ही अधिक धार्मिक महत्व है। शास्त्रों में तुलसी के पौधे को पवित्र और लाभकारी बताया गया है। तुलसी को लेकर मान्यता हैं कि तुलसी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका था, उससे हुई थीं। यहीं कारण है कि सनातन धर्म में तुलसी को पूजनीय, पवित्र और देवी का दर्जा दिया गया है। शास्त्रों में बताया गया हैं कि तुलसी का पौधा घर में लगाना काफी हितकारी होता है। साथ ही यह भी बताया गया हैं कि तुलसी का पौधा किन स्थानों पर नहीं लगाया जाना चाहिए।ImageSource
सनातन धर्म में तुलसी को परम वैष्णव माना गया है। तुलसी के पौधे को दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए। इससे धन की हानि होती है। तुलसी के पौधे को हमेशा उत्तर दिशा में ही लगाना चाहिए। उत्तर दिशा बुध की दिशा मानी जाती है। तुलसी को हमेशा गमले में ही लगाना चाहिए, जमीन पर नहीं। इससे घर के सदस्यों की सेहत पर नकारात्मक असर होता है।
तुलसी के पौधे को घर की छत पर भी नहीं लगाया जाना चाहिए। घर में लगे तुलसी के पौधे की भली-भांति देख-रेख करनी चाहिए। वह सूखना नहीं चाहिए। मान्यता है कि सूखा पौधा घर में रखना अशुभ होता है। अगर कभी तुलसी का पौधा सूख जाता है तो उसे किसी नदी, तालाब या कुएं में प्रवाहित कर देना चाहिए। इसके अलावा शास्त्रों में रविवार के दिन तुलसी पूजा करना और इसके पत्ते तोड़ना वर्जित है। अन्य दिनों में भी तुलसी के पत्ते सूर्यास्त के बाद नहीं तोड़ने चाहिए।ImageSource
यह तमाम बातें तुलसी के पौधे को लेकर शास्त्रों में कही गई हैं। हालांकि तुलसी का धार्मिक महत्व होने के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो नियमित रूप से तुलसी के पौधे के पत्ते खाने से ऊर्जा का प्रवाह शरीर में नियंत्रित होता है। तुलसी के पत्तों को खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। साथ ही इससे घर का वातावरण भी शुद्ध रहता है।