सेंधा नमक भारत से इस तरह किया गया गायब, इससे कई बीमारियाँ रहती हैं कोसों दूर

आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज मैं आपको बताता हूं कि नमक के मुख्य कितने प्रकार होते हैं। एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock salt) । सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना हुआ होता है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है। जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ और सुरंगें हैं। वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पिसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन में मददगार, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है। इससे पाचक रस बढ़ते हैं। तो अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करें, क्यूंकि ये प्रकृति द्वारा निर्मित है।

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भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कम्पनियां भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है, उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है,

हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो (अनपूर्णा, कैप्टन कुक ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ . अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ . आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था। उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।

दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन कर दिया, अमेरिका ही नहीं, जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क हर जगह ये प्रतिबंधित है. डेनमार्क की सरकार ने 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने अपने देश के लोगों को आयोडीन युक्त नमक खिलाया (1940 से 1956 तक) तो अधिकांश लोग नपुंसक हो गए. जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया . उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों मे जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता।

आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे।

सेंधा नमक के फ़ायदे:-

सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है । क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं।

ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है। और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??

सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है. इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है. सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।

यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।

समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :-

ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है. क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो प्राकृतिक जो पहले से नमक मे होता है। दूसरा होता है “industrial iodine” ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial आयोडीन डाल कर पूरे देश में बेच रही हैं। जिससे बहुत सी गंभीर बीमारियाँ भी हो रहीं हैं। ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित होता है।

आम तौर पर उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ), डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारीयों का भी ख़तरा बढ़ता है। इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है, जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है। ये नमक पानी में कभी पूरी तरह नहीं घुलता, हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत में इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है।

ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते हैं, और बीमारियां जरूर साथ मे मिल जाती हैं.

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रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं, जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते हैं। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लॉक्स बनने की संभावना और ऑक्सिजन जाने मे परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि की बीमारियाँ हो जातीं हैं. आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है। 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओ के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।\

निवेदन :पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग ही करना चाहिए।

 

आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये. सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आयोडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक आयोडीन होता है. इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरबी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।