दिसंबर का महीना है, और पूरी दुनिया में ठंड का मौसम चल रहा है. उत्तर भारत में भी ठंड का क़हर जारी है. तो वहीं उत्तर प्रदेश के तापमान में भी गिरावट देखी गई है, जिसके चलते ठंड और बढ़ गई है. ठंड के चलते लोग ठिठुर रहे हैं. जानकारी के अनुसार रामनगरी के मठ मंदिरों में भगवान को ठंड न लगे उसके लिए चादर, ब्लोअर लगाया गया है. 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद यह दूसरी बार है यानी 28 साल बाद, इस तरह की व्यवस्था की जा रही है.
पिछले साल भी इसी तरह की व्यवस्था के लिए स्थानीय नेता और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के सदस्यों ने अयोध्या के आयुक्त से अनुरोध किया था. 9 नवंबर 2019 के दिन सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या को लेकर फैसला सुनाया था. फैसला आने से पहले तक अयोध्या आयुक्त ही इस तरह की गतिविधियों पर ध्यान दिया करते थे.
मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास का कहना है, “मंदिर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए गर्भगृह में ब्लोअर, अंगीठी व हीटर के जरिए भगवान को ठंड से बचाने के उपाए किए जा रहे हैं. इसके साथ देवताओं को गर्म कपड़े व शॉल में रखा गया है. जब भगवान की पूजा होती है या भोग लगाया जाता है, शृंगार किया जाता है तब भी विशेष सावधानी बरती जाती है. इससे पहले, हमने एक चिमनी बनाने के बारे में भी सोचा था लेकिन मंदिर की दीवारें फिलहाल लकड़ी और कांच से बनी हुई है, इसलिए हम इस आईडिया का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं” गर्मियों में देवताओं को गर्मी न लगे इसके लिए एयर-कंडीशनर लगाया गया है.
राम जन्मभूमि स्थल से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित एक मंदिर है जहां रामलला को उनके भाइयों (भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न) के साथ भगवान हनुमान और भगवान शालिग्राम को रखा गया है. साथ ही जानकारी देना चाहेंगे कि सभी भाईयों को एक ही मंच पर रखा है. और भगवान हनुमान और शालिग्राम जी को अलग-अलग मंच पर रखा गया है.
इस बीच, विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा का कहना है कि इस साल स्थानीय अधिकारियों से पिछले साल की तरह कोई अनुमति नहीं मांगी गई है. लेकिन पिछले साल अक्टूबर के महीने में वह अयोध्या आयुक्त से मिले थे और उनसे कहा था, कि ‘रामलला’ हमारे विश्वास का प्रतीक हैं, इसलिए उनके कमरे को गर्म रखने की व्यवस्था की जानी चाहिए. इसके बाद प्रशासन ने इसके लिए अनुमति दे थी, पर इस वर्ष रामलला को ठंड से सुरक्षित रखने का प्रबंध खुद वीएचपी द्वारा की गई है.