आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हुए 70 साल के, राम मंदिर आन्दोलन में निभाई थी मुख्य भूमिका

अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए भूमि पूजन हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी के हाथों शिलान्यास की विधि संपन्न हुई थी. उस दौरान देश के कई दिग्गज वहां इकठ्ठे हुए थे. खासकर वो लोग मुख्य रूप से शामिल हुए थे जिन्होंने राम मंदिर आन्दोलन में मुख्य भूमिका निभाई थी. और उनमें से एक प्रमुख नाम था आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का. ये बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि, प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार नरेन्द्र मोदीजी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत एक साथ इकठ्ठे हुए थे, और मंच पर उपस्थित केवल पांच लोगों के साथ प्रधानमंत्री के साथ मोहन भगवत जी भी थे.

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आज उनका जन्म दिवस है. वो 70 साल के हो चुके हैं. वेटनरी ऑफिसर के रूप में जीवन शुरू करने वाले मोहन भागवत सन 2000 में आरएसएस के सरकार्यवाह बने थे. आपातकाल के समय कठिन परिस्थितियों में उन्होंने भी विपदाओं को झेलकर हिंदुत्व की विचारधारा को पूरे राष्ट्र में में प्रवाहित करने का कार्य किया था.

11 सितम्बर 1950 को महाराष्ट्र के सांगली में जन्म लेने वाले मोहन भगवत ने 12वी तक की पढ़ाई महाराष्ट्र के चंद्रपुर से पूरी की. और उसके बाद उन्होंने अकोला के डॉ पंजाबराव देशमुख कॉलेज में वेटनरी में दाखिला ले लिया. और उसके बाद वेटनरी में ही ऑफिसर के रूप में काम सम्हाल लिया. पर उनके परिवार में पहले भी दो पीढियां संघ से जुड़ी हुईं थी. उनके दादा नारायण भागवतजी संघ के संस्थापक केशव बलराम हेडगेवार के मित्र हुआ करते थे. और 1925 में जब संघ की स्थापना हुई तो नारायण भागवतजी ने भी उसके साथ जुड़कर सक्रिय रूप से कार्य करना प्रारंभ कर दिया था. इसके अलावा मोहन भगवत के पिता मधुकर भागवतजी भी संघ के प्रचारक के रूप में कार्य करते रहे. और इन्हीं संस्कारों की वजह से मोहन भागवत भी सक्रिय रूप से संघ से जुड़ गए, और लगातार प्रचारक के रूप में काम करते रहे. और उन्होंने कश्मीर से लेकर धारा 370 के औचित्य पर हमेशा बेबाकी से अपनी राय रखी.

इन दिनों मोहन भागवतजी आरएसएस के सरसंघ संचालक के तौर पर अपनी भूमिका और ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं.