धारावाहिक रामायण टेलीविज़न की दुनियां में ऐसा मील का पत्थर बन चुका है कि, 33 साल के बाद भी इसे फिर से दो दो बार देखा गया, एक बार डीडी वन पर तो, दूसरी बार स्टार प्लस पर. और दोनों ही बार इसकी लोकप्रियता उसी चरम पर थी, जो आज से 33 साल पहले थी. टेलीविज़न की दुनियां में ये एक इतिहास है, और इतिहास बनाने के लिए बहुत समर्पण लगता है. रामायण के निर्माता निर्देशक रामानंद सागरजी ने इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, न किरदारों के चयन में, और ना गीत संगीत और निर्देशन में. इस धारावाहिक में श्रीराम और लक्ष्मण ये दोनों ऐसे किरदार थे, जो हमेशा दिखाई देते रहे हैं, क्योंकि पूरी रामायण में ये दोनों भाई सदैव साथ रहे. लक्ष्मण के किरदार की इसी अहमियत के चलते रामानंद सागरजी ने इसके लिए मराठी फिल्मों के जाने माने अभिनेता संजय जोग से बात करके उन्हें लक्ष्मण की भूमिका करने के लिए कहा. पर संजय जोग उन दिनों बाहर की फ़िल्में करने भी व्यस्त थे, और रामायण की शूटिंग के लिए उन्हें लगातार कई महीनों तक मुंबई से बाहर जाकर रहना था, जिसके चलते ये उनके लिए संभव नहीं था.
हालांकि लक्ष्मण की भूमिका करने के लिए रामानंद सागरजी ने अभिनेता शशि पुरी से भी कहा था, पर बात नहीं बन सकी. उसके बाद रामानंद सागर जी ने अभिनेता संजय जोग से भरत की भूमिका निभाने के लिया कहा, जिसके लिए वो तैयार हो गए, और बन गए रामजी के प्यारे भाई भरत. हालांकि भरत की भूमिका से अभिनेता संजय जोग ने दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी थी, वो एक कुशल अभिनेता थे, और उन्होंने अपने छोटे से जीवन में बड़ी पहचान बनाई थी.
संजय जोग का अभिनय इतना प्रभावशाली था, कि भावपूर्ण दृश्यों में उनकीं आँखें बोलतीं थीं. घर घर में पसंद किये जाने वाले ये अभिनेता एक गंभीर बीमारी के चलते मात्र चालीस साल की उम्र में जिंदगी से लड़ाई हार गए. पर रामायण के भरत के रूप में आज भी उन्हें घर घर में पहचाना जाता है.