वैदिक काल से कहा गया है कि जो भगवान सूर्य की उपासना करता है उनके द्वारा किए गए सभी कार्य सूर्य की तरह चमकते रहते हैं. वेदों के अनुसार ‘सूर्य जगत की आत्मा हैं और ईश्वर के नेत्र हैं’. भगवान सूर्य की कृपा से ही पृथ्वी पर जीवन जीना संभव है. यहां तक कि आज के ऋषि–मुनि भी उदय होते हुए सूर्य को ही ज्ञान रूपी ईश्वर कहते हैं. यह भी मान्यता है, कि जो सूर्यदेव को अर्ध्य देता है उनके सारे कार्य सकारात्मक होते हैं. प्रत्यक्ष देवता सूर्य की उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है. प्रभु राम ने भी सूर्यदेव की साधना की थी. विदित हो कि प्रभु श्रीराम के पूर्वज भी सूर्यवंशी थे. भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूदेवर्य की उपासना करके ही कुष्ठ रोग दूर कर पाए थे.
अब जानते हैं सूर्य ग्रह से जुड़ी कुछ खास बातें…
१. भगवान सूर्य का विवाह संज्ञा नाम की देव कन्या से हुआ था. आपको बताना चाहेंगे कि यमराज और यमुना इनकी संतान हैं. संज्ञा को अपने पति सूर्यदेव का तेज सहन करने में काफी परेशानी हो रही थी. तेज से बचने के लिए उन्होंने अपनी छाया को सूर्यदेव की सेवा में लगा दिया. धार्मिक मान्यता है, कि छाया की संतान होने के कारण शनि का रंग काला है.
२. ज्योतिषियों के अनुसार, शनि देव जी अपने पिता के साथ शत्रुता का व्यवहार रखते हैं. लेकिन भगवान सूर्य उनके प्रति विनम्र स्वभाव रखते हैं. हमारे कहने का मतलब है कि सूर्यदेव, अपने पुत्र शनि को शत्रु नहीं मानते.
३. जिन घोड़ो पर भगवान सूर्य विराजमान रहते हैं वे सप्ताह के सात दिनों के प्रतीक है. गरुड़देव के भाई अरुण सूर्य के सारथी हैं.
४. सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ दिनकराय नम: आदि मंत्रों का जाप करें. इनमें से किसी भी मंत्र का 108 बार जाप करें. यहीं नहीं सूर्यदेव की आराधना करने के साथ–साथ गायत्री मंत्र का भी जाप करते हुए सूर्यदेव को प्रसन्न किया जा सकता है.