राम – आदर्श विद्यार्थी

आज सारी दुनिया को एक कुशल और दूरदर्शी युवा लीडर की ज़रूरत है और इन सभी योग्यताओं, ज़रूरतों का आधार है हमारी शिक्षा दीक्षा।
हमारे पूरे जीवन की नींव बचपन से ही हमारे अंदर पड़ जाती है। हमारी शिक्षा का असर जीवन भर हमारे साथ रहता है और हमारे व्यवहार और जीवन को प्रभावित करता है। इसलिए ये बहुत ही ज़रूरी है कि हम बचपन से ही उन आदतों, उन परिस्थितियों और उन शिक्षाओं को अपने आप में उतार लें जिन से सिर्फ हमारी जिंदगी ही नहीं बल्कि हम से जुड़े परिवार, समाज और सारा विश्व प्रभावित होता है ।

राम का चरित्र हमें हमारे जीवन और सारे संसार के काम की हर शिक्षा देता है, ज़रूरत ये है कि हम राम के जीवन चरित्र को, उनके हर व्यवहार को, उन महत्वपूर्ण शिक्षाओं को अपने आप पर लागू करें।

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एक विद्यार्थी के रूप में राम ने जो आदर्श प्रस्तुत किया है वो संसार के हर विद्यार्थी, हर बच्चे के लिए बहुत ही उपयोगी और शिक्षा दायक है।
उस समय विश्व के सबसे धनी व्यक्ति के पुत्र होकर भी राम ने गुरुकुल में रहकर शिक्षा प्राप्त की, जहां ना तो महलों जैसी सुख सुविधाएं थीं, ना ही साधन थे और ना ही नौकर चाकर। जन्म से लेकर विद्यालय जाने से पहले तक राम हर तरह के सुख सुविधा से संपन्न राजपरिवार में पले बढ़े किंतु विद्यालय जाकर वे सभी राजसी सुख सुविधाएं भूलकर, विद्यालय के नियमों के अनुसार जीवन जीने लगे।

आरामदायक बिस्तर पर सोने वाले भूमि पर सोने लगे
दिन-रात सेवकों, नौकरों से घिरे रहने वाले, अपना हर काम स्वयं करने लगे,
भाँति भाँति के पकवानों में से चुन चुन कर भोजन करने वाले, रोज आश्रम का सादा भोजन करने लगे।
आश्रम की साफ-सफाई,
साथ पढ़ने वालों के हर काम में सहयोग करने लगे
गुरु की सेवा में हमेशा खड़े रहने लगे।

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आज हम वीआईपी कल्चर के नाम पर, स्टेटस के नाम पर अपने विद्यार्थी जीवन में जो व्यवहार करते हैं उसके कारण हम जीवन के कई महत्वपूर्ण अनुभव से वंचित रह जाते हैं। विद्यार्थी का रहन सहन,
विद्यार्थी का व्यवहार,
विद्यार्थी का चाल चलन कैसा होना चाहिए इसका सबसे अच्छा उदाहरण है श्री राम का चरित्र।
जब हम सीख रहे हैं, विद्यार्थी हैं तो हमें बहुत ही विनम्र, सेवाभावी, सरल व्यवहारी होना चाहिए। स्वार्थ, अहंकार, नफरत आदि हमारे व्यवहार में बिल्कुल भी नहीं होने चाहिए ।

राम ने अपने विद्यार्थी जीवन में इन सारी विशेषताओं को, इन सारे गुणों को अपने व्यवहार में रखा और करके दिखाया।
कभी विद्यालय की कोई मर्यादा नहीं तोड़ी,
कभी गुरु आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया,
कभी किसी भी साथी सहपाठी का अपमान नहीं किया,
कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं की,
कभी अपने स्वार्थ के लिए किसी का नुकसान नहीं किया,
सबसे एक जैसा अच्छा व्यवहार किया,
सबसे प्रेम से सम्बन्ध निभाया
आज के हर विद्यार्थी को राम का यह चरित्र जानना चाहिए, समझना चाहिए और अपने व्यवहार में उतारने का प्रयास करना चाहिए।