जीवन भर इंसान बहुत कुछ सीखता है, सीखने की ये प्रक्रिया बचपन से ही शुरु हो जाती है. पर कितने लोग उन सीखी हुई बातों या शिक्षा को अपने जीवन में अमल में लाते हैं, ये ज़रूरी होता है. सीखने का काम तो घर से माँ बाप से शुरू होता है, और फिर विधालय, दोस्त, दुनियादारी, सब कुछ न कुछ सिखाते हैं, और ये सारी शिक्षा हमें अपने जीवन में आगे वाली लड़ाई के लिए तैयार करती है.ImageSource
श्रीराम धरती पर नारायाण का अवतार थे, लेकिन फिर भी उन्होंने जीवन भर संघर्ष ही किया. उन्होंने भी अपने माता पिता, गुरु, सभी से जो कुछ सीखने को मिल सकता था, वो सब सीखा, और उस शिक्षा को अपने जीवन में आगे अमल में लेकर आये. वो एक महान योद्धा की भांति जीवन में आगे बढ़ते रहे. उन्होंने न सिर्फ राक्षसों का अंत किया, बल्कि बुराइयों को भी इस धरती से मिटाते रहे. उनके जैसा योद्धा उस युग में कोई नहीं था. ऐसा कोई नहीं था, जो उनका सामना कर सकता हो, लेकिन फिर भी धैर्य और मर्यादा के साथ ही जीवन में सब कुछ किया.
योद्धा होना सिर्फ इसी मायने में नहीं होता कि, वो कितना बड़ा धनुर्धर है, बल्कि परिस्थियों का सामना किस तरह करना है, ये सब भी अच्छे योद्धा का गुण है. और अपने इसी युद्ध कौशल से वो अपने सामने आने वाली हर बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना हंसकर करते गए, और बाद में उन्होंने अपना महान साम्राज्य स्थापित किया.
इंसान अपने जीवन में मुसीबतें आने पर अगर सच्चे मन से एक बार श्रीराम का नाम लेकर आगे बढ़े, तो बड़ी से बड़ी मुश्किलों को पार कर सकता है. क्योंकि श्रीराम जीवन जीने की कला में बसते हैं, समस्याओं का हंसकर सामना करना सिखाते हैं, और हर इंसान को ये बताते हैं कि, जीवन बहुत अनमोल है, और ये केवल जीने के लिए है.