भूमि पूजन के साथ 4 जिलों के 84 कोस क्षेत्र के 151 स्थानों पर एक साथ अनुष्ठान

किसी भी अनुष्ठान के संकल्प, शुभारंभ, विधि-विधान और समापन महत्वपूर्ण हिस्से हैं। फिर जब बात अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर की हो तो उसके भूमि पूजन का स्वरूप सिर्फ उस स्थल तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि आसपास के कई इलाकों, समूचा देश और पूरा विश्व उसके आभामंडल से प्रभावित होगा।

मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन को लेकर अयोध्या तो उत्साहित है ही, लेकिन हर कोई इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनना चाहता है। इसी कड़ी में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के 84 कोस परिधि में आने वाले ऋषि, मुनियों की तपस्थलियों पर भी बड़े आयोजन किए जा रहे हैं। ऐसे 151 तीर्थ स्थलों को चयनित किया गया है। इन स्थानों पर श्रीराम चरित मानस, श्री दुर्गा सप्तशती व श्रीविष्णु सहस्रनाम का पाठ, सहित जप व कई अनुष्ठान किए जा रहे हैं।

भूमि पूजन के लिए 5 अगस्त को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या पहुंचने के साथ ही इन 151 स्थलों पर वैदिक मंत्रोच्चार गूंजने लगेंगे। 84 कोस क्षेत्र में स्थित तीर्थ के लोग अनु्ष्ठान की पूर्णाहुति में शामिल होंगे। यह तीर्थ क्षेत्र अयोध्या सहित चार जिलों में व्यापकता लिए हुए है। ऋषि- मुनियों की तपस्थलियों और अवतार स्थलों का स्कंद पुराण, वाल्मीकि रामायण, हरिवंश पुराण, रुद्रयामल जैसे ग्रंथों में वर्णन मिलता है।

यह जानना भी जरूरी है कि तीर्थ क्षेत्र के 84 कोस में अयोध्या जिले के महबूबगंज स्थित ऋषि ऋंगी आश्रम, नंदीग्राम भरतकुंड, आस्तिक ऋषि आश्रम आस्तीकन, जन्मेजय कुंड सिड़सिड़, च्यवन ऋषि आश्रम राजापुरवा, रमणक ऋषि पंडितपुर, माण्डव्य ऋषि आश्रम बसौढ़ी, गौतम ऋषि रुदौली, मां काम

मख्या भवानी मंदिर सुनबा, गोंडा जिले के वाराह सूकर क्षेत्र, संत तुलसी दास की जन्मस्थली राजापुर, ऋषि जमदग्नि जमथा, ऋषि अष्टावक्र रामघाट, ऋषि पाराशर परास गांव, कपिल मुनि आश्रम महंगूपुर, वाराही देवी रगडगंज, बस्ती जिले में पुत्रेष्टि यज्ञ स्थल मखभूमि मखौड़ा, रामरेखा छावनी सहित इन सभी स्थलों पर अनुष्ठानों का शुभारंभ मंगलवार को हो गया है। इन क्षेत्रों में दो दिवसीय आयोजन का समापन 5 अगस्त को भूमि पूजन के वक्त होगा। इसमें प्रात: जप और पाठ के बाद साधक, श्रद्धालु हवन कुंड में आहुतियां अर्पित करेंगे। इसके समापन पर श्रद्धालुओं में सवा लाख पैकेट प्रसाद बांटा जाएगा। ImageSource

बताया जाता है कि श्री अयोध्या न्यास की ओर से सन 2014 से इन स्थलों को नए सिरे से चिन्हित किया गया था। इसी आधार पर दिल्ली में अयोध्या पर्व का आयोजन हुआ था। अब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमि पूजन करने के बाद इन चौरासी कोस के तीर्थों में भी नई रौनक लौटने की उम्मीद है।