इस आधुनिक दुनिया में सभी वर्ग मार्डन बनने में लगे हुए हैं और प्राचीन संस्कृति को भूलते जा रहे हैं. और यही वजह है कि सब एक दूसरे के नज़दीक होने के बावजूद मन से बहुत दूर हैं. इस भाग दौड़ वाली ज़िदगी में सबकुछ याद रखना असंभव है. ऐसे में याददाश्त को संतुलित बनाए रखना काफ़ी मुश्किल है. एक उम्र के बाद याददाश्त धीरे धीरे कमज़ोर होने लगती है, लेकिन कुछ बातों का ख़याल रखा जाए तो याददाश्त को दुरुस्त रखा जा सकता है.
वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, अगर व्यक्ति दिन में थोड़ी देर के लिए झपकी लेता है तो इससे वह खुद को रिचार्ज कर सकता है या यूँ कहें कि वह रिफ्रेश हो जाता है. फिर जब वह काम करना शुरु करता है तो उसके काम में तेजी साफ दिखाई पड़ती है और फिर वह व्यक्ति कम समय में सार्थक तरीके से काम करता है. जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, काम का प्रेशर बढ़ता जाता है और उसके अनुसार नींद लेने का तरीके में भी बदलाव आ जाता है. लेकिन दिन के समय झपकी लेने से दिमाग चुस्त हो जाता है. इसे एक उदाहण के जरिए समझिए…
जब आपकी गाड़ी नई होती है तब वो फटाफट स्टार्ट हो जाती है, लेकिन जैसे जैसे पुरानी होती है उसे स्टार्ट होने में समय लगता है. पुरानी गाड़ी जबतक गरम नहीं होती तब तक स्टार्ट नहीं होती.
जानकारी के अनुसार, चीन के वैज्ञानिक ने बीजिंग, शंघाई और जियान के 2,214 लोगों पर रिसर्च कर पता लगाने की कोशिश की है कि 5 मिनट से 2 घंटे तक सोने के बाद यदि कोई व्यक्ति काम करता है तो उनमें किस हदतक बदलाव आता है. साथ ही एक जानकारी देना चाहेंगे कि इन सभी व्यक्तियों की उम्र 60 साल है. इस तरह की गतिविधियों से मकसद यह पता लगाना था कि नींद का असर किस हद तक दिमाग पर पड़ता है, और फिर वह व्यक्ति जब काम करना शुरु करता है तो उसकी याददाशत काम के प्रति कैसे रहती है.
कुछ मिनटों की नींद लेना है फायदेमंद
जानकारी के अनुसार जो व्यक्ति दिन में नींद नहीं लेते या लेते हो तो कुछ मिनटों की, तो उनकी याददाश्त सबसे बेहतर रहती है. और जिनकी नींद लंबी होती है उनकी याददाशत कमजोर होती है.
जनरल साइकिएट्रिक रिसर्च के अनुसार हर दस से 65 वर्षीयों लोगों में से 1 व्यक्ति डिमेंशिया यानी घटती मेमोरी से जूझ रहा है. दुनियाभर में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है.
डिमेंशिया का मतलब
जिन व्यक्तियों को चीज़े याद रखने में दिक्कतें होती हैं उन्हे डिमेंशिया कहते हैं. डिमेंशिया का मतलब है कि स्मरण शक्ति की क्षमता में कमी होना. शुरुआती लक्ष्ण दिखते ही अगर उस व्यक्ति का इलाज कर लिया जाए तो वह बिल्कुल ठीक हो सकता है. ज्यादा देर होने से परेशानी बढ़ सकती है. और जिसे डीजेनरेटिव डिर्मेशिया है उनका इलाज ही संभव नहीं है.
ब्रेन की ऐसी कोशिकाएं जो मेमोरी को कंट्रोल करती हैं, वे सूखने लगती हैं. जिसका असर गिरती याददाश्त के रूप में दिखता है और उसे रिकवर करना नामुमकिन हो जाता है. ऐसा होने पर डिमेंशिया की स्थिति बनती है.
घटती याददाशत के नुकसान
1. संतुलन बनाने में दिक्कत होना
2. भोजन को बिना चबाए निगलना
3. पेशाब से जुड़ी परेशानियां होना शुरु हो जाती हैं.
तो समय पर जाग जाइए और मौक़ा मिले तो दिन में 5 -10 मिनट के लिए सो जाइए.