श्रीराम के जीवन में जितने पड़ाव, उतना ही संघर्ष, पर हंसकर किया हर विपदा को पार

भगवान श्रीराम मानवजाति का कल्याण करने के लिए धरती पर मानव रूप में आये थे. उनके द्वारा स्थापित किये गए आदर्शों पर ही आज पूरी सभ्यता की आधारशिला है. उनकी मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं होता. और उनके नाम मात्र से इंसान की सारी मुश्किलें आसान हो जाती हैं. उनके जीवन की छोटी छोटी घटनाओं में भी बहुत बड़ी सीख होती थी. उस समय कई लोग तो ऐसे थे जो वर्षों से उनके दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने भी एक एक करके सबको दर्शन दिए. अहिल्या का उद्दार किया. निषादराज से मित्रता की, केवट की नाव में बैठकर गंगा पार की.

 

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शबरी के जूठे बेर खाए. जटायु को मोक्ष प्रदान किया. बाली के दुष्कर्मों से उनके भाई सुग्रीव को मुक्ति दिलाई, और उन्हें किष्किन्धा का राजा बनाया. अपने परम भक्त श्री हनुमानजी को अपना सेवक बनाकर उन्हें बड़ा दायित्व सौपा. और लंकापति रावण का अंत करके विभीषण को लंका का राजा बनाया. उसके बाद अपनी नगरी अयोध्या में आकर एक संत की तरह पूरा जीवन बिताया. यही तो है राम कहानी का सार, जो हम सब बचपन से सुनकर बड़े होते हैं. लेकिन श्रीराम के जीवन की इस अनवरत यात्रा में जितने पड़ाव थे, उनका संघर्ष उतना ही बड़ा था. महानता की मिसाल और सदैव मर्यादा के रास्ते पर चलकर उन्होंने हर बड़ी से बड़ी मुश्किल का अपने जीवन में स्वागत क्या. और उसे समाधान तक पहुंचाया.

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हर समस्या समाधान के लिए ही होती है. और अगर समाधान नहीं होता, तो हम समस्या की पहचान ही कैसे कर पाते. लेकिन जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करना श्रीराम के आदर्श हैं. सहजता, सरलता, सामर्थ्य, धैर्य, क्षमाशील, कुशल नेतृत्व, वीर योद्धा, अनुशासन और मर्यादा ऐसे अनगिनत गुणों का प्रतिरूप हैं श्रीराम. उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलकर मनुष्य बहुत आसानी से अपने जीवन की चुनौतियों से पार जा सकता है.