बहुत बड़ा अवसर है, ऐतिहासिक क्षण है,अयोध्या में गली मोहल्ले, सड़कें, दीवारें सब सज रहे हैं, एक महान उत्सव की शुरुआत है ये, संस्कारों का स्वागत है ये, सदियों से सनातन संकृति के लिए अपना जीवन न्योछावर करने की परंपरा है ये, वो संस्कार जो मिले हैं हमें अपनी पीढ़ियों से, ये विरासत भी है, और धरोहर भी, जो हम आगे लेकर जायेंगे, और हमारे बाद कोई और आगे ले जाएगा. श्रीराम का सात्विक जीवन, सदाचार और मर्यादा सदैव हम सबका मार्गदर्शन करता है, जो हमने सीखा है, वही हमें देकर जाना है, क्योंकि ये कहानी नहीं है, महान गाथा है मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन की, वो जो स्वयं भगवान थे, लेकिन राजा के घर में जन्म लेने के बाद भी उनका सम्पूर्ण जीवन कठिन संघर्ष की कहानी है. उनकी ये महान गाथा जीवंत हो रही है उन मूर्तियों में, जो अयोध्या के रामकथा कुंज में बन रही हैं.
कई महीनों से इन मूर्तियों को बनाने का काम चल रहा है. मूर्तिकार रंजीत मंडल और उनके सहयोगी इन मूर्तियों के निर्माण में जोर शोर से लगे हुए हैं. बहुत ही अद्भुत है इन मूर्तियों का दृश्य, जिसमें श्रीराम के बाल्यकाल से लेकर उनके सम्पूर्ण जीवन की झलक है. रामजी के जीवन में होने वाली सभी छोटी बड़ी घटनाएँ इन मूर्तियों के माध्यम से जीवंत हो रहीं हैं. श्रीराम का जन्म लेना, गुरुकुल जाना, स्वयंवर, वनवास, अहिल्या का उद्धार, केवट प्रसंग, निषादराज से मित्रता इन सभी घटनाओं को सजीव कर दिया है मूर्तिकार ने.
अब तक सैकड़ों की संख्या में मूर्तियाँ बन चुकी हैं, और बहुत तेज़ी से रामजी के जीवन में आगे वाले प्रसंगों पर मूर्तियों निर्माण हो रहा है. ये सभी मूर्तिकार न सिर्फ एक कलाकर हैं, बल्कि उनका ह्रदय भी भक्ति भाव से पूरी तरह भरा हुआ है, आखिर तभी तो इतनी जीवंत मूर्तियों का निर्माण हो रहा है. और आगे भी ये कार्य निरंतर चलता रहेगा.