एक ऐसा अद्भुत पत्थर, जिसकी उम्र पांच हज़ार साल से भी ज्यादा मानी जाती है. जो दिखने में बहुत सुन्दर होता है, मजबूत होता है और काफी टिकाऊ होता है. लेकिन खनन माफियाओं की बुरी नज़र से वो भी नहीं बच सका. और वो इस पत्थर को बेचकर करोड़ों कमाने लगे. आनन फानन में सरकार ने इसपर रोक लगा दी.
दरअसल भरतपुर के बंशी पहाड़पुर का पत्थर राष्ट्रपति भवन से लेकर देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद तक और देश के नामचीन धार्मिक स्थलों में लगा हुआ है. भरतपुर के रुदावल स्थित बंशी पहाड़पुर से सुन्दर और टिकाऊ पत्थर काफी समय से जा रहा है लेकिन अवैध खनन होने की वजह से इस पत्थर के खनन पर प्रशासन ने रोक लगा दी, जिससे अयोध्या में भगवन श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर यहां से नहीं जा पा रहा है. लेकिन अब राज्य सरकार इस कोशिश में जुटी है कि इस फॉरेस्ट एरिया को डी-फ़ॉरेस्ट कराकर इस पहाड़ पर अनुमति देकर लीज शुरू की जाए और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भेजा जा सके और लोगों को रोजगार भी मिल सके. हालांकि सरकारी रोक लगाए जाने से पहले साल 2011-12 में बड़ी तादाद में ये पत्थर तराशी के बाद अयोध्या जाता रहा है. और श्रीराम मंदिर भी बंशी पहाड़पुर के इसी इमारती पत्थर से बन रहा है, क्योंकि यहां से निकलने वाला पत्थर बेहद गुणवत्तापूर्ण होता है, जो हजारों वर्षों तक भी मजबूती के साथ चमकता है. यहाँ तक कि, इस पत्थर पर पानी पड़ने से और ज्यादा निखार आता है. बंशी पहाड़पुर से निकलने वाले पत्थर की गुणवत्ता काफी अच्छी और मजबूत होती है, जिसकी उम्र पांच हजार वर्षों तक मानी जाती है.
भरतपुर जिला कलेक्टर नथमल डिडेल के अनुसार बंशी पहाड़पुर इलाके के पहाड़ों से लाल इमारती पत्थर निकलता है, जिसकी मांग पूरे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में काफी ज्यादा है लेकिन 2016 में बंशी पहाड़पुर के इस पहाड़ी को सैंचुअरी यानी वन अभयारण्य घोषित कर नोटिफाई किया गया था, जिसे अब डी-नोटिफाई करने की कवायद हो रही है. राज्य सरकार ने माना है कि जहां से ये पत्थर निकलता है, वहां न तो जंगल है, न ही जानवर है, जिसको देखते हुए खनन, वन और राजस्व विभाग के द्वारा एक संयुक्त सर्वे कराया और इस सर्वे के अनुसार केंद्र सरकार के वन विभाग की गाइड लाइन के अनुसार हम अपडेट करेंगे और सबसे पहले ये एरिया डीनोटिफाई होगा. इसके बाद ही लीज स्वीकृत की जा सकेंगी. यदि यहां खनन की स्वीकृति दी जाती है तो इससे न केवल पूरे देश में मांग के अनुसार पत्थर की आपूर्ति की जा सकेगी, जिसकी वजह से सरकारी खजाने में राजस्व तो आएगा ही, साथ ही बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा.