राजा दशरथ के राजकुल गुरु सप्तर्षि वशिष्ठ, ब्रह्म देव के मानस पुत्र थे। वे उन सात ऋषियों में से एक थे जिन्हें सत्य का ज्ञान एक साथ प्राप्त हुआ था। ऐसे में रामायण के रचयिता रामानंद सागर को भगवान श्रीराम के गुरु ऋषि वशिष्ठ के रूप में ऐसे अभिनेता की तलाश थी, जिनके मुखमंडल पर एक निश्चछल और करुणामयी भाव मौजूद रहे। इस चरित्र के लिए उनकी खोज सुधीर दलवी पर आकर खत्म हुई।ImageSource
रामायण में ऋषि वशिष्ठ का चरित्र उन्होंने ठीक उसी तरह से जीवंत कर दिया जैसे अन्य महत्वपूर्ण कलाकारों ने अपने चरित्रों को जीवंत किया। सुधीर वही अभिनेता थे, जिन्होंने वर्ष 1977 में आई फिल्म ‘शिर्डी के साँई बाबा’ में साँई बाबा का किरदार निभाया था।
सुधीर दलवी की अभिनय यात्रा ‘शिर्डी के साँई बाबा’ या रामायण तक ही सिमट कर नहीं रही। 81 वर्षीय इस अभिनेता ने इन दोनों महत्वपूर्ण किरदारों से पहले और बाद में भी कई जाने-माने टीवी सीरियल्स व फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है।
1974 में ‘27 डाउन’ नामक फिल्म से अपनी अभिनय यात्रा शुरु करने वाले सुधीर ने 90 के दशक तक लगभग 23 बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय किया। इस दौरान कभी वे साँई बाबा बने नजर आए, कभी जज, कभी ड्राइवर, पुजारी, तांत्रिक, ट्रक ड्राइवर, तो कभी पुलिस कमिश्नर। बहुचर्चित फिल्म ‘तिरंगा’ जिसमें राजकुमार और नाना पाटेकर मुख्य किरदार थे, में सुधीर दलवी ने न्यूक्लियर साइंटिस्ट नसरुल हसन के छोटे से रोल को भी जीवंत कर दिया था। जितेंद्र अभिनीत फिल्म ‘अपनापन’ का लोकप्रिय गीत ‘आदमी मुसाफिर है आता है जाता है..’ जिसे मोहम्मद रफी ने आवाज दी है, सुधीर दलवी पर ही फिल्माया गया है।ImageSource
सुधीर ने मनोज कुमार, अमिताभ बच्चन, राजेश कुमार से लेकर उस दौर के सभी बड़े अभिनेताओं के साथ स्क्रीन साझा की। सुधीर दलवी ने जिन फिल्मों में अभिनय किया उनमें, ‘कर्मयोगी’, ‘आप के दीवाने’,’गहराई’, ‘अर्पण’, ‘हवालात’, और ‘तूफान’ प्रमुख हैं।
फिल्मों के अलावा सुधीर दलवी ने रामायण सहित लगभग 6 टीवी सीरियल्स में अभिनय किया है, जो छोटे पर्दे पर काफी लोकप्रिय रहे हैं। जहाँ दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘चाणक्य’ में उन्होंने अंभिराज का चरित्र निभाया, वहीं ‘विष्णु पुराण’ में ब्रह्मा और टीवी के सबसे लोकप्रिय सीरियल्स में से एक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में गोवर्धन विरानी जिन्हें बापूजी के नाम से भी पुकारा जाता था, के चरित्र निभाए।